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जुबिन गर्ग को याद करते हुए पापोन का खुलासा: मां के निधन के अगले ही दिन बना डाला था गाना

By Muskan Thakur

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सोशल संवाद/डेस्क : भारतीय संगीत जगत में जुबिन गर्ग का नाम सिर्फ एक कलाकार का नहीं, बल्कि एक पूरे युग का प्रतिनिधित्व करता है। असम से निकले इस दिग्गज गायक ने न सिर्फ क्षेत्रीय संगीत को नई पहचान दी बल्कि हिंदी और इंडस्ट्री के अन्य भाषाई संगीत में भी अपनी अलग छाप छोड़ी। उनके निधन के बाद देशभर के कलाकारों और प्रशंसकों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसी बीच, गायक और संगीतकार पापोन ने साहित्य आजतक के मंच पर जुबिन गर्ग से जुड़ा एक बेहद भावुक और दिल छू लेने वाला किस्सा साझा किया, जिसने दर्शकों को भीतर तक प्रभावित कर दिया।

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मां के निधन के अगले ही दिन रचा था नया गीत

साहित्य आज तक 2025 के सत्र में शामिल हुए पापोन ने बताया कि कैसे जुबिन गर्ग अपने कठिनतम पलों में भी संगीत से जुड़े रहते थे। उन्होंने खुलासा किया कि जुबिन गर्ग ने अपनी मां के निधन के अगले ही दिन एक नया गाना कम्पोज कर दिया था

“जुबिन ऐसा कलाकार था जिसके लिए संगीत महज करियर नहीं था। वह उसके लिए सांस की तरह था। जब उसकी मां का निधन हुआ, मुझे लगा वह कुछ समय के लिए खुद को दुनिया से अलग कर लेगा। लेकिन अगले ही दिन उसने मुझे फोन किया और कहा कि वह एक नया गाना बनाने में जुटा हुआ है। मैं उस पल को कभी नहीं भूल सकता। वह दर्द को संगीत में बदल देने की क्षमता रखता था।”

संगीत ही था जुबिन का सबसे बड़ा सहारा

पापोन ने बताया कि जुबिन गर्ग के लिए संगीत भावनाओं को व्यक्त करने की भाषा था।
व्यक्तिगत ट्रैजेडी हो या जीवन की कोई बड़ी खुशी जुबिन हर पल में संगीत की ओर लौट आते थे।
वे कहते हैं

“संगीत ही था जो जुबिन को संभाले रखता था। वह दुख में भी उसी की शरण में जाता था। वह अपने दर्द को बंद कर, गीतों में ढाल देता था। शायद इसी वजह से उसकी आवाज सुनकर लोग आज भी भावनाओं से भर उठते हैं।”

ऐसे हुई थी जुबिन और पापोन की दोस्ती

इस अवसर पर पापोन ने अपनी और जुबिन गर्ग की दोस्ती का सफर भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच एक खास तरह का भावनात्मक और संगीतात्मक रिश्ता था।

उन्होंने बताया

“हम दोनों असम से थे, लेकिन हमारी मुलाकातें ज्यादा नहीं होती थीं। एक बार एक कार्यक्रम में हम मिले, और वहां से बातचीत की शुरुआत हुई। धीरे-धीरे वह दोस्ती में बदल गई। जुबिन बेहद सादगी पसंद, जमीन से जुड़े हुए और बेहद भावुक इंसान थे। उनकी शख्सियत में एक अजीब-सी मासूमियत थी जो हर किसी को अपनी ओर खींच लेती थी।”

संगीत के प्रयोगों में माहिर थे जुबिन गर्

पापोन ने कहा कि कई बार उन्होंने और जुबिन ने साथ बैठकर संगीत पर चर्चा की।
जुबिन नए प्रयोगों के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

“वह हर धुन में कुछ हटकर तलाशता था। उसके पास असमिया लोक संगीत की गहरी समझ थी, और वह इसे आधुनिक धुनों के साथ जोड़कर एक नया स्वाद पैदा करता था। यही उसकी असली खूबी थी।”

पापोन ने यह भी बताया कि जुबिन अक्सर अपने गानों में प्रकृति, लोकधुनों और स्थानीय आवाजों को शामिल करने की इच्छा रखते थे।

असमिया संगीत को नई पहचान देने वाला कलाकार

जुबिन गर्ग को असमिया संगीत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय भी दिया जाता है।
उनके गाने सिर्फ मनोरंजन नहीं थे बल्कि असम की मिट्टी, संस्कृति और पहचान की आवाज थे।

पापोन ने कहा

“जुबिन सिर्फ गायक नहीं था, वह असम की आत्मा था। उसकी आवाज सुनकर लगता था जैसे उसमें पूरा ब्रह्मांड समा गया हो। उसने हमारे राज्य के संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।”

जुबिन का संघर्ष और दृढ़ता आज भी प्रेरणा

कार्यक्रम में पापोन ने यह भी बताया कि जुबिन गर्ग ने अपने करियर में काफी संघर्षों का सामना किया था।
फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाना आसान नहीं था, लेकिन अपने हुनर और मेहनत के दम पर उन्होंने एक खास जगह बनाई।

“वह कभी हार नहीं मानता था। उसकी जिद थी कि वह अपनी आवाज से दुनिया को जीत लेगा और उसने जीत भी लिया।”

दर्शकों में भावुकता, पापोन ने दी श्रद्धांजलि

सत्र के अंत में पापोन ने जुबिन गर्ग की याद में उनका एक गीत भी गुनगुनाया।
हॉल में बैठे सैकड़ों लोग उस पल भावुक हो उठे।
कई दर्शकों ने खड़े होकर जुबिन गर्ग को याद किया और तालियों से उन्हें सम्मान दिया।

पापोन ने कहा

“जुबिन आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज, उनकी धुनें और उनका जज्बा हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।”

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