सोशल संवाद/डेस्क/Pitru paksha 2025: आज का दिन हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 7 सितंबर से पितृपक्ष का आरंभ हो चुका है और इसी दिन साल का दूसरा खग्रास चंद्रग्रहण भी लग रहा है। यह संयोग बेहद दुर्लभ है क्योंकि 122 वर्षों बाद पितरों की स्मृति में मनाया जाने वाला पितृपक्ष चंद्रग्रहण के साथ शुरू हो रहा है। आमतौर पर पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण और अमावस्या पर सूर्यग्रहण होता है, लेकिन इस बार पितृपक्ष का शुभारंभ ऐसे विशेष खगोलीय योग में हो रहा है।

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पंचांग के अनुसार, यह ग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 8 सितंबर की आधी रात 1 बजकर 26 मिनट तक चलेगा। भारत में यह पूर्ण रूप से दृश्यमान होगा, इसलिए सूतक काल मान्य रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि चंद्रग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस आधार पर आज दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से ही सूतक का प्रभाव आरंभ हो चुका है।
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, खरीदारी या मंदिर दर्शन वर्जित माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से पहले श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और स्नान जैसे धार्मिक कार्य पूरे कर लेना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
Pitru paksha 2025: ग्रहण काल में क्या नहीं करना चाहिए
धार्मिक नियमों के अनुसार, ग्रहण काल में सोना, खाना और पीना निषिद्ध माना गया है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान उन्हें सोना नहीं चाहिए और चाकू जैसी धारदार वस्तुओं का प्रयोग भी वर्जित है। ग्रंथ-पाठ भी इस समय टालना चाहिए। खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी पत्र डालना शास्त्रसम्मत माना जाता है, जिससे नकारात्मक प्रभाव कम हो जाता है।
Pitru paksha 2025: राशियों पर चंद्रग्रहण का असर
ग्रहण का असर राशियों पर भी पड़ेगा। मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर और मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण अनुकूल नहीं रहेगा और उन्हें ग्रह मंत्रों का जाप करना चाहिए। वहीं, मेष, वृष, कन्या और धनु राशि वालों को यह समय लाभदायक साबित होगा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ग्रहण काल में अनाज और पैसे छूकर अलग रख देने चाहिए और बाद में उन्हें दान करना शुभ होता है।
Pitru paksha 2025: बीएचयू प्रोफेसर की ग्रहण पर राय
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय का कहना है कि यह ग्रहण लगभग साढ़े तीन घंटे का होगा और संपूर्ण भारत में दिखाई देगा। चूंकि यह पितृपक्ष में लग रहा है, इसलिए इस दौरान किए गए पितृ कर्म और भी अधिक फलदायी होंगे। मान्यता है कि ग्रहण काल में किया गया जप सामान्य दिनों की तुलना में लाख गुना अधिक प्रभावी होता है। यही कारण है कि साधक और श्रद्धालु इस समय का विशेष रूप से इंतजार करते हैं।
Pitru paksha 2025: पितृपक्ष का महत्व और पूर्वजों की कृपा
हिंदू धर्म में पितृपक्ष को पूर्वजों की स्मृति और श्राद्ध का पर्व कहा जाता है। यह काल भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। शास्त्रों के अनुसार, इस अवधि में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज और हवन जैसे अनुष्ठानों से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस बार चंद्रग्रहण के साथ पितृपक्ष की शुरुआत होने से इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।








