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जीरो बैलेंस खाते पर RBI का बड़ा फैसला, 1 अप्रैल 2026 से सभी बैंकों को देना होगा मुफ्त सुविधा वाला खाता

By Aditi Pandey

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RBI big decision on zero balance accounts

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सोशल संवाद/डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम बैंक ग्राहकों को बड़ी राहत देते हुए जीरो बैलेंस वाले बुनियादी बचत खाते के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि अब देश के सभी बैंक यह खाता अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएंगे। नए नियम 1 अप्रैल 2026 से पूरे देश में लागू होंगे, हालांकि बैंक अपनी सुविधा से इसे पहले भी लागू कर सकते हैं।

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आरबीआई के निर्देश के अनुसार, यदि कोई ग्राहक चाहे तो उसका सामान्य बचत खाता केवल सात दिनों के भीतर बुनियादी बचत खाते में बदला जाएगा। इसके लिए ग्राहक को सिर्फ लिखित या ऑनलाइन आवेदन देना होगा। अब बैंक इस प्रक्रिया में अनावश्यक देरी नहीं कर सकेंगे और न ही अतिरिक्त शर्तें लगा पाएंगे।

आरबीआई ने साफ कह दिया है कि इन खातों को किसी भी तरह से कम सुविधा वाला या निम्न स्तर का खाता नहीं माना जाएगा। बुनियादी बचत खातों में भी सामान्य बचत खाते जैसी सभी जरूरी सुविधाएं मिलेंगी। इसमें एटीएम या डेबिट कार्ड बिल्कुल मुफ्त मिलेगा और उस पर कोई वार्षिक शुल्क या नवीनीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा।

ग्राहकों को साल में कम से कम 25 पन्नों की चेकबुक मुफ्त दी जाएगी। इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, पासबुक और बैंक स्टेटमेंट पर भी कोई शुल्क नहीं देना होगा। इसके साथ ही हर महीने चार बार मुफ्त एटीएम से नकद निकासी की सुविधा मिलेगी। डिजिटल लेनदेन को इन चार निकासियों की सीमा में नहीं गिना जाएगा। वहीं, खाते में महीने में कितनी भी बार पैसा जमा किया जा सकेगा, इस पर कोई रोक नहीं होगी।

आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि बैंकों द्वारा दिए गए कई सुझावों को खारिज कर दिया गया है। बैंकों ने यह प्रस्ताव रखा था कि ग्राहकों की आय या प्रोफाइल के आधार पर बुनियादी खाता खोला जाए, लेकिन आरबीआई ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। इसी तरह इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग पर रोक लगाने का सुझाव भी स्वीकार नहीं किया गया।

आरबीआई का यह फैसला सभी व्यावसायिक बैंकों, स्मॉल फाइनेंस बैंकों, पेमेंट बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों पर लागू होगा। माना जा रहा है कि इस फैसले से देश के करोड़ों गरीब, ग्रामीण और पहली बार बैंकिंग से जुड़ने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और वित्तीय समावेशन को मजबूती मिलेगी।

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