सोशल संवाद/डेस्क : बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकाराओं में शुमार शेफाली शाह ने एक पुराने फिल्मी निर्णय को लेकर ऐसा खुलासा किया है, जिसने फिर से अभिनय जगत में उम्र-अनुपात और महिला कलाकारों की भूमिकाओं पर बहस छेड़ दी है। उन्होंने साफ कहा है कि अक्षय कुमार की मां का किरदार निभाना उनके करियर के सबसे पछतावे वाले फैसलों में से एक था। यह वही फिल्म थी, जिसमें उन्होंने एक ऐसे अभिनेता की मां की भूमिका निभाई, जो वास्तविक जीवन में उनसे उम्र में करीब छह साल बड़े थे।

ये भी पढे : Smriti Mandhana शादी की मेहंदी सेरेमनी के लिए पलाश मुच्छल के साथ एक खूबसूरत दुल्हन बनीं
कैसे मिला भूमिका का प्रस्ताव और क्यों हुआ पछतावा
साल 2005 में आई फिल्म वक़्त: द रेस अगेंस्ट टाइम में शेफाली को अक्षय कुमार की मां की भूमिका मिली। उस समय उनकी उम्र तीस के आसपास थी, जबकि अक्षय चालीस के करीब। यह उन पर एक तरह का अचानक थोप दिया गया उम्र-विशेष फॉर्मेट था, जिसे उन्होंने उस वक्त एक अवसर समझकर स्वीकार कर लिया।
आज वह मानती हैं कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया था। उनके शब्दों में “उस रोल के साथ मैंने अपनी कब्र खुद खोद ली थी। मुझे समझ नहीं थी कि यह मेरे आगे के करियर को कैसे मोड़ देगा।”शेफाली का कहना है कि वह अब भी उस समय की अपरिपक्वता को याद कर हैरान होती हैं। उनके अनुसार, वह उम्र में युवा थीं, ऊर्जा से भरी थीं और मुख्य भूमिकाएँ कर सकती थीं, लेकिन एक बुजुर्ग मां का किरदार निभाने से उनके सामने सीमित विकल्प रह गए।
फिल्म के बाद क्या हुआ भूमिकाओं का दायरा हुआ छोटा
फिल्म की रिलीज़ के बाद इंडस्ट्री में उनकी छवि एक गंभीर और उम्रदराज किरदार निभाने वाली अभिनेत्री की बन गई। कई निर्देशकों ने उन्हें वही किरदार ऑफर किए जिनमें वह सिर्फ एक मां, बड़ी भाभी या परिवार की वरिष्ठ महिला ही बन सकती थीं।
शेफाली बताती हैं कि “उस एक फिल्म के बाद मुझे कई मजबूत किरदारों से हाथ धोना पड़ा। लोग मुझे सिर्फ एक ही फ्रेम में देखने लगे।”उन्हें यह भी महसूस हुआ कि बॉलीवुड में उम्र का फर्क पुरुष और महिला कलाकारों के बीच हमेशा असमान रहा है। पुरुष कलाकार 45-50 की उम्र में भी हीरो बनते रहते हैं, जबकि महिलाओं को उसी आयु में ‘मां’ की भूमिकाओं में ही सीमित कर दिया जाता है। शेफाली के अनुसार यह सिनेमा की सबसे बड़ी असमानताओं में से एक है।
आज देखना मुश्किल ‘शर्म से मर जाऊंगी’
शेफाली ने अपने हालिया इंटरव्यू में यह भी कहा कि अगर उन्हें आज वह फिल्म दोबारा देखनी पड़े तो उन्हें गहरा संकोच महसूस होगा।उनके शब्द थे “अगर आज मुझे वह फिल्म देखने बैठना पड़े, तो मैं शर्म से मर जाऊंगी। वह किरदार निभाना मेरे करियर का सबसे बड़ा भ्रम था।”यह बयान साफ दर्शाता है कि उस भूमिका का प्रभाव उनके मन में आज भी कायम है।
करियर में नया मोड़ ‘दिल्ली क्राइम’ की सफलता
हालांकि बाद में उनकी किस्मत बदली। वेब सीरीज ‘दिल्ली क्राइम’ ने उन्हें ग्लोबल पहचान दिलाई और उन्हें फिर से वही सम्मान मिला, जिसके वह हमेशा लायक थीं। इस सीरीज में उन्होंने एक बेहद मजबूत, सशक्त और गहराई वाले किरदार को निभाया, जिसने साबित किया कि वह सिर्फ पारिवारिक भूमिकाओं तक सीमित नहीं, बल्कि कहानी को अपने कंधों पर उठा लेने वाली अभिनेत्री हैं।
इस शो के बाद ही उनके करियर में नया मोड़ आया और फ़िल्मकारों ने उन्हें गंभीर, मजबूत और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ देने की शुरुआत की। शेफाली खुद कहती हैं “दिल्ली क्राइम ने साबित किया कि मैं सिर्फ मां का किरदार निभाने के लिए पैदा नहीं हुई थी।”
“अब कभी नहीं…” भविष्य की भूमिका पर सीधा जवाब
जब उनसे पूछा गया कि अगर भविष्य में फिर से ऐसा कोई किरदार ऑफर हुआ तो क्या वह स्वीकार करेंगी? इस पर उनका एक ही जवाब था “अब मैं कभी भी किसी ऐसे अभिनेता की मां नहीं बनूंगी, जो उम्र में मुझसे बड़ा हो। वह गलती दोबारा नहीं होगी।”उनके इस बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आज अपने करियर और रोल चयन को लेकर कहीं ज्यादा सजग और आत्मनिर्भर हैं।








