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फेफड़ों के साथ आंखों को भी बर्बाद करती है Smoking

सोशल संवाद /डेस्क : Smoking हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है. Smoking करने से फेफड़े डैमेज हो सकते है और इसके सेवन करने से कैंसर जैसी गम्भीर बिमारियों का खतरा बन सकता है. क्या आपको पता है इसके अलावा Smoking से आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है.

तो आइए जानते हैं कैसे बचे smoking से:-

मैक्यूलर डिजनरेशन

अगर आप धूम्रपान करने के आदी हैं, तो इससे मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा काफी बढ़ जाता है. उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन बुजुर्गों में होने वाले विजन लॉस का एक प्रमुख कारण है. यह बीमारी धीरे-धीरे विजन को खराब कर देती है, जिससे व्यक्ति की पढ़ने, गाड़ी चलाने और चेहरे पहचानने की क्षमता कम हो जाती है.

मोतियाबिंद

तंबाकू के इस्तेमाल से मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. यह एक ऐसी स्थिति जिसकी वजह से आंख के प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आ जाता है. धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में मोतियाबिंद विकसित होने की संभावना दो से तीन गुना ज्यादा होती है. मोतियाबिंद न सिर्फ दृष्टि को धुंधला कर देता है, बल्कि विपरीत संवेदनशीलता को भी कम कर देता है, जिससे कम रोशनी की स्थिति में वस्तुओं को पहचानना कठिन हो जाता है.

सेकंड-हैंड स्मोक

धूम्रपान करने से सिर्फ Smoking करने वालों को ही नहीं, बल्कि उनके आसपास मौजूद लोगों की भी नुकसान होता है. धूम्रपान की वजह से होने वाले धुएं की वजह से आसपास मौजूद लोग सेकंड-हैंड Smoking का शिकार हो जाते हैं, तो उनके लिए हानिकारक हो सकता है. सेकंड हैंड धुएं में सांस लेने से सिर्फ सेहत ही नहीं, आंखों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसमें ड्राई आई सिंड्रोम से लेकर ऑप्टिक नर्व डैमेज जैसी गंभीर स्थितियां शामिल हैं.

खासतौर पर बच्चे सेकंड हैंड स्मोक के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, जिसके संपर्क में आने से उनमें मायोपिया (दूर की वस्तुएं धुंधली दिखना) और आगे के जीवन में अन्य विजन संबंधी समस्याओं के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.

धूम्रपान से होने वाले अन्य नुकसान

धूम्रपान न सिर्फ कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है, बल्कि यह मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों को भी बढ़ा देता है. डायबिटीज वाले व्यक्तियों के लिए, धूम्रपान से विजन लॉस होने की संभावना बढ़ सकती है. ऐसे में धूम्रपान छोड़ने से, डायबिटिज से पीड़ित लोग अपनी स्थिति को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं और आंखों से जुड़ी जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं.

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