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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ को लेकर सुधीर कुमार पप्पू ने रेल मंत्री पर किया तीखा प्रहार  

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद/जमशेदपुर : समाजवादी चिंतक एवं अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर हुए हादसे पर चिंता जताते हुए मृतकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई है।

वकील सुधीर कुमार पप्पू के अनुसार रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव पूरी तरह से बेशर्मी पर उतरे हुए हैं। उन में जरा भी लोक लज्जा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूरी निरंकुशता का परिचय दे रहे हैं। आखिर रेल मंत्री में ऐसी कौन सी खूबियां है, या रेलवे ठेके को लेकर कुछ अंदर की बात है कि उनसे इस्तीफा नहीं ले रहे हैं और उन्हें पद से हटा भी नहीं रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि जब से अश्विनी वैष्णव रेलवे मंत्री बने हैं लगातार हादसे हो रहे हैं और अब तक सैकड़ो यात्रियों की जाने जा चुकी है।

टेक्नोलॉजी अद्यतन है और दावा किया जाता है कि रेल यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित है। उनका दावा हवा हवाई है। करोड़ों में लोग संगम आस्था की डुबकी लगाने जा रहे हैं। आलम यह है कि रेल यात्रियों को ट्रेन में सफर करने के लिए ऐसी कोच के कांच की खिड़कियां तोड़नी पड़ती है।

रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव केवल रील बनाकर पब्लिक डोमेन में छोड़ने को व्यस्त रहते हैं। हादसे के बारे में रेलवे मंत्रालय जानकारी भी ठीक से नहीं देता है और मीडिया को कवरेज से भी रोका जाता है। आखिरकार रेल मंत्री और रेलवे मंत्रालय जनता से क्या छिपाना चाहता है।

अश्विनी वैष्णव कम से कम देश के रेलवे मंत्रालय की परंपरा का तो ख्याल रखें । पूर्व प्रधानमंत्री एवं तत्कालीन रेल मंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री एवं पूर्व रेल मंत्री स्वर्गीय माधव राव सिंधिया ने रेल दुर्घटना की जिम्मेवारी लेते हुए नैतिक रूप से इस्तीफा दे दिया था। पूर्व में कुंभ में हुए हादसे पर भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री आजम खान ने इस्तीफा दे दिया था।

लेकिन इस केंद्रीय सरकार और इस केंद्रीय मंत्री से देश की जनता को कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए क्योंकि यह जिम्मेदारी लेने और जवाबदेही से भागते हैं। आलम यह है कि दिल्ली में हुए हादसे के लिए यात्रियों को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वही पप्पू ने इसे बेशर्मी करार दिया है कि मृतकों के परिवार को दस लाख रुपया मुआवजा ऐसे दिया जा रहा है जैसे सरकार उन पर एहसान कर रही है। क्या आज एक इंसान की कीमत मात्र दस लाख रुपए है?

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