सोशल संवाद/ डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को रैगिंग, यौन उत्पीड़न और जाति, लिंग, विकलांगता जैसे आधारों पर भेदभाव खत्म करने के मसौदा नियम अधिसूचित करने की अनुमति दे है। नियम उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग, यौन उत्पीड़न और जाति, लिंग, दिव्यांगता तथा अन्य पूर्वाग्रहों के आधार पर भेदभाव को मिटाने के लिए हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 24 मार्च के फैसले पर गौर किया, जिसमें ऐसे संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के मामलों पर विचार किया गया था और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने की खातिर एक राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) का गठन किया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर, हम यह स्पष्ट करना उचित समझते हैं कि यूजीसी मसौदा विनियम 2025 को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़ सकता है और उसे अधिसूचित कर सकता है. अदालत ने कहा कि, जैसा कि इस अदालत ने अमित कुमार के मामले में (24 मार्च के फैसले में) कहा था, ये नियम एनटीएफ की सिफारिशों के अतिरिक्त हैं।