सोशल संवाद /डेस्क : 23 साल पहले ‘ओम जय जगदीश’ से निर्देशन की शुरुआत करने वाले अनुपम खेर अब फिर से डायरेक्टर बने हैं। उनकी फिल्म ‘तन्वी: द ग्रेट’ 18 जुलाई को रिलीज हो रही है। इस दौरान मीडिया से हुए बातचीत में अनुपम खेर ने फिल्म से जुड़े किस्से और अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि न स्टूडियो साथ थे, न पैसा, लेकिन इरादा इतना साफ था कि फिल्म को खुद ही प्रोड्यूस करने का फैसला लिया, बिना किसी समझौते के।
फिल्म को लेकर कैसी भावनाएं हैं?
जब आप किसी नई चीज के साथ आते हैं आम तौर पर उसमें घबराहट और नर्वसनेस होती है। आश्चर्य है कि मुझे दोनों नहीं हो रहा है, क्योंकि ट्रेलर को दर्शकों का प्यार मिला है। अमेरिका, फ्रांस, लंदन में फिल्म दिखाई गई है। मैंने दर्शकों के साथ फिल्म देखी है, तो तंजानिया में हो या तमिलनाडु, भावनाएं तो एक समान होती हैं। फिल्म अच्छाई के बारे में हैं। आसपास हमें अच्छाई नजर ही नहीं आती है। वो अच्छाई से परिचय आटिज्म के साथ जी रही लड़की करवाती है।
निर्माता न मिलने पर मनोबल टूटता है?
नहीं, क्योंकि तन्वी का मनोबल कभी टूटता नहीं है। मैं अपनी यूनिट से कहता था कि हम तन्वी जैसे हैं। मुझे ये फिल्म बनानी थी चाहे कोई निर्माता मिले या ना मिले में ये कब से सोच के रखा था। शूटिंग के पहले दिन मैंने एक भाषण यूनिट को दिया था,जल्द उसे सबके सामने लाएंगे। उसमें मैंने कहा था कि इस फिल्म के दौरान हम सब लोग एक-दूसरे के साथ दया का भाव रखेंगे। कोई चिल्लाएगा नहीं। मुझे लगता है कि सेट पर हम जो 240 लोग थे, उनकी जिंदगी में कहीं न कहीं कोई बदलाव यह फिल्म जरूर लाई है।
सेट पर सब प्यार से और आराम से बात करेंगे
नहीं, मैं सेट पर तनाव नहीं चाहता। हम साथ बैठकर खाना खाते थे, शूट टाइम पर खत्म होता था और अगर जल्दी फ्री हो जाएं तो बाहर निकल जाते थे। मुझे लगता है कि डायरेक्शन सिर्फ टेक्निकल चीज नहीं, एक इंसानी प्रक्रिया है, जो ईमानदारी से चले तो सबका काम आसान हो जाता है।
उनको यह फिल्म क्यों बनाना था
वे बोले अब फिल्म को आर्ट की तरह देखने के बजाए बाक्स आफिस नंबर ज्यादा अहम हो गए हैं। अब यह विशुद्ध बिजनेस बन गया है। कोई फिल्म के बारे में बात नहीं करता। शायद अब उनके लिए पैसे अहम हो गए है। अगर आपसे पांच फिल्में पूछी जाएं, तो आप वो फिल्में नहीं बताएंगे, जिन्होंने अच्छा बिजनेस किया। आप उन पांच फिल्मों के बारे में बात करेंगे, जो आपको पसंद आईं, वो है आर्ट। उसमें मैं यकीन रखता हूं। लोग मुझसे पूछते हैं कि आपको 23 साल क्यों लग गए? मैं ऐसी कहानी बनाना चाह रहा था जो मेरे दिल को छुए।