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हमारे देश की राजनीति का कड़वा सच

By Tamishree Mukherjee

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हमारे देश की राजनीति का कड़वा सच

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सोशल संवाद / डेस्क ( लेखक – आनंद कुमार झा ) : हम सभी एक ऐसे देश में रहते हैं, जहाँ सभी लोग कहते हैं कि हमारा देश बहुत तेज़ी से विकास कर रहा है।हम यह कह सकते हैं कि यह सच है कि हम दिन-प्रतिदिन सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं, लेकिन हमारे आस-पास जो कुछ भी हो रहा है या चल रहा है, उस पर हमारा ध्यान नहीं है।

सरल शब्दों में कहें तो आजकल चुनाव का समय है, हर पार्टी विज्ञापन दे रही है और बता रही है कि अगर वे जीतेंगे तो वे यह करेंगे और वह करेंगे। हर पार्टी का अपना घोषणापत्र और प्रचार है, जिसके ज़रिए वे लोगों को यह बता रहे हैं कि वे देश में बदलाव ला सकते हैं।

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हर पार्टी अपने तरीके से अच्छी है, लेकिन आज़ादी के 77 साल से ज़्यादा हो जाने के बाद भी वे संविधान को नियंत्रित नहीं कर पाए हैं। हाँ, मैं संविधान की बात कर रहा हूँ, जो समाज का मूलभूत अधिकार है, और वे लोगों को बरगलाने के लिए अपने अलग-अलग घोषणापत्र और प्रचार की बात कर रहे हैं। आजकल राजनेता राजनीति को अपने देश की सेवा करने के कर्तव्य के रूप में नहीं बल्कि एक व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल करते हैं।  वे चुनाव जीतने के लिए विभिन्न अवैध तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे कि बाहुबल, धनबल, आम लोगों से झूठे वादे करके।

यदि आप हमारे देश में केवल संविधान को विनियमित करते हैं और प्रत्येक राजनीतिक व्यक्ति, अधिकृत व्यक्ति उसका पालन करता है तो हमारा देश अभी से कहीं अधिक प्रगति करेगा। लोगों की मूल मानसिकता यह है कि वे अभी भी किसी भी स्तर पर शासन चुनने के लिए जाति, धर्म, समुदाय और सभी को देखते हैं, और हर राजनेता उस बात को समझता है और वे अपने मकसद के लिए इसका फायदा उठाते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मिल जाएगा।

इसलिए मेरे हिसाब से अगर हम देश में बदलाव चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी और हर तरह से ईमानदार और वफादार होना होगा तभी देश बदलेगा।

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