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रैयतों को मुआवजा भुगतान किए बिना ही जबरन सड़क निर्माण में उतरी संवेदक, रैयतों ने रोका

सोशल संवाद/डेस्क : सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड अंतर्गत दुबराजपुर में सड़क चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की जा रही भूमि का उचित मुआवजा देने की मांग को लेकर रैयतों ने आवाज उठाई और किसी क़ीमत पर कौड़ियों के भाव अपनी पूर्वजों की जमीन नहीं देने की बात कही। दरअसल दुबराजपुर में रैयतों को बिना मुआवजा भुगतान किए ही रैयतों की जमीन पर मंगलवार को साऊथ ईस्ट कंस्ट्रक्शन कम्पनी के संवेदक ने जेसीबी मशीन उतार दी और उसके बाद काम आरम्भ कर दिया। रैयतों के खेत का मेढ़ को समतल कर दिया। इसके बाद रैयत मौक़े पर पहुंचे और संवेदक से काम को बंद करने को कहा तो साऊथ ईस्ट कंस्ट्रक्शन कम्पनी का साईट इंचार्ज चिरंजीवी रैयतों को डराने धमकाने पर उतार आए और जबरन काम करना चाहा।

जिसके बाद काफी देर तक रैयत और साईट इंचार्ज के बीच वाद विवाद होता रहा। मौक़े पर थाना प्रभारी अमिश कुमार को भी आना पड़ा और रैयतों को मामला का समाधान निकालने के लिए सक्षम पदाधिकारी के समक्ष अपनी बात रखने को कहा। जिसके बाद सभी रैयत सीओ के कार्यालय पहुंचे परन्तु कोई समाधान नहीं निकला।  मालूम हो कि उड़ीसा को जोड़ने वाली सरायकेला-राजनगर -चक्रधरपुर मार्ग चौड़ीकरण के लिए दुबराजपुर में बाईपास सड़क बन रही है। भू-अर्जन की समस्या के कारण सड़क पिछले नौ वर्षों लटकी हुईं है। जिसे सरकार अब तेजी पूरा करवाना चाहती है। मगर दुबराजपुर में रैयतों ने जमीन का मुआवजा सरकार द्वारा कम तय किए जाने से राशि लेने से मना कर दिया है।

हम सड़क निर्माण का विरोध नहीं कर रहे, हमें उचित मुआवजा मिले : रैयत

दुबराजपुर के रैयत दशमत सोरेन ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन कौड़ियों के भाव लेना चाहती है। प्रति डिसमिल ग्यारह सौ रूपये किस आधार पर जमीन की मूल्यांकन की गई है। ग्यारह सौ रूपये में तो 25 किलो चावल नहीं मिलती। क्या हमें उतने रूपये में उतनी जमीन खरीदने से मिलेगी? इतनी कम राशि में हम अपने जीविका वाली जमीन कैसे दे देंगे? हम सड़क निर्माण का विरोध नहीं कर रहे, बस हमें उचित मुआवजा मिले। इस सम्बन्ध में अंच, भू अर्जन कार्यालय से लेकर उपायुक्त कार्यालय का चक़्कर काटे। मुआवजा को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। मगर उसकी सुनवाई नहीं हुईं। इधर साउथ ईस्ट कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार जबरन आकर हमारी रैयत जमीन पर मशीन उतार जोर जबरदस्ती काम करने उतरते हैं। रैयतों को डरा धमका कर जबरन काम करना चाहते हैं और हमें जबरन सरकार की तय की गई प्रति डिसमिल ग्यारह सौ के हिसाब से राशि लेने का दवाब बनाया जा रहा है। लोकतंत्र में यह कैसा न्याय है। ज़ब तक उचित मुआवजा नहीं मिलेगा। जमीन नहीं देंगे। वहीं रैयत सुनील सोरेन का कहना है कि साउथ ईस्ट कंस्ट्रक्शन साईट इंचार्ज चिरंजीवी को बोले कि यह आदिवासी जमीन है, बिना भुगतान के आप कैसे जबरन काम रहे है, तो वे सीधे आदिवासी के नाम पर गली गलौज और एफआईआर की धमकी देने पर उतर आए और कहा तुमलोग कुछ जानते नहीं हो। आदेश आया है, हम काम करेंगे। जबकि वह कोई आदेश नहीं बल्कि भू अर्जन कार्यालय का मुआवजा नोटिस दिखा कर जबरन काम करना चाहता है। अगर सरकार और संवेदक का रवैया ऐसा ही रहा तो उसके विरुद्ध हमलोग एफआईआर दर्ज करने से पीछे नहीं हटेंगे।

इधर सीओ हरीश चंद्र मुंडा का कहना है कि जो रैयत पैसा नहीं लिए हैं, उनकी राशिभू अर्जन कार्यालय में पड़ी हुई है। भू अर्जन कार्यालय से राशि प्राप्त कर सकते हैं। जहां तक जमीन का पैसा कम मिलने का मामला है, यह तो अंचल आधार पर सरकार ने तय किया है। इसके लिए रैयत अपील कोर्ट जा सकते है। सरकार का निर्देश है सड़क को जल्द पूरा करना है। इस पर उपायुक्त का सख्त निर्देश है। दशमत सोरेन व रूपचाँद सोरेन पिता-भीम सोरेन, घासीराम सोरेन पिता- रामो सोरेन, जगन्नाथ सोरेन पिता स्व. रूपचाँद सोरेन, भीम सोरेन, सुखदा सोरेन व सामु सोरेन पिता -चमरू सोरेन, घासीराम सोरेन, वर्षा सोरेन पिता -पिता रामो सोरेन एवं माझीया सोरेन पिता -भदाऊ सोरेन ने आदि।

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