सोशल संवाद/डेस्क : दुनिया कोई छोटी नहीं है, ऐसे में यहां रहने वाले भी तरह-तरह के लोग होते हैं. किसी कोने में कुछ चल रहा होता है तो किसी दूसरे कोने में कुछ और. एक जगह पर बैठे हुए लोग ये समझ भी नहीं पाते हैं कि दुनिया की ही किसी और जगह पर कुछ अलग कल्चर हो सकता है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में बताएंगे, जिनकी एक अजीब ही खासियत है.
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आप इसे खासियत कहेंगे या फिर कमी, ये आप खुद ही तय कर लीजिए लेकिन एक ऐसी जनजाति है, जिनकी पूरी नस्ल ही एक अजीब समस्या से गुजर रही है. इनकी शक्ल-सूरत को इंसानों की ही तरह है लेकिन आप पैर देखते ही दंग रह जाएंगे. इन लोगों के पैरों की बनावट हमारी तरह 5 उंगलियों और पंजों की न होकर सिर्फ 2 उंगलियों वाली है. ये काफी हैरान करने वाला नजारा है.
सूरत इंसानों सी, पैर ऑस्ट्रिच के – डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक डोमा ट्राइब के नाम से मशहूर इस जनजाति के लोगों को वाडोमा या फिर बंतवाना ट्राइब के नाम से जाना जाता है. इन्हें अक्सर ऑस्ट्रिच पीपल भी कहा जाता है क्योंकि इनके पैर ऑस्ट्रिच के जैसे होते हैं. ये जनजाति जिम्बॉब्वे के कान्येम्बा रीजन में पाई जाती है. इस पूरे समुदाय को एक खास जेनेटिक डिसऑर्डर है, जिसे Ectrodactyly कहा जाता है. इस कंडीशन की वजह से ही इनके पैरों में 5 के बजाय कुल 2 उंगलियां ही होती हैं.
पैर में नहीं होती हैं पूरी 5 उंगलियां – इस जेनेटिक म्यूटेशन को लोब्सटर क्लॉ सिंड्रोम के नाम से जानते हैं. इसमें पैरों से एक या कई उंगलियां जन्म से ही मिसिंग हो जाती हैं. माना जाता है कि डोमा ट्राइब के हर चौथे बच्चे को ये दिक्कत होती है, ज्यादातर लोगों के पैरों के बीच की 3 उंगलियां गायब होती हैं. हालत ये है कि अब इस जनजाति के लोग दूसरे समुदाय में शादी भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि उन्हें कानूनी तौर पर इसकी मनाही की गई है. ये लोग न तो ठीक से चल पाते हैं और न ही जूते पहन पाते हैं. सिर्फ पेड़ों पर चढ़ने के मामले में इनका कोई तोड़ नहीं होता.
वडोमा जनजाति के लोगों के पैर इतने अलग क्यों – आइए आपको बताते हैं आखिर क्यों वडोमा जनजाति के लोगों के पैर इतने अलग होते हैं। दरअसल इस जनजाति के अधिकतर लोग एक आनुवंशिक विकार से पीड़ित हैं, जिसे ‘एक्ट्रोडैक्टली’ या ‘ऑस्ट्रिच फूट सिंड्रोम’ के नाम से जाना जाता है। रेयर डिजीज के मुताबिक, एक्ट्रोडैक्टली को स्प्लिट हैंड/फूट मालफॉर्मेशन (SHFM) भी कहा जाता है। ये बीमारी पैर की उंगलियों को प्रभावित करती है। कई बार पैरों के साथ-साथ हाथों की उंगलियां भी प्रभावित हो जाती हैं।
दूसरी जाति में नहीं कर सकते शादी – वडोमा जनजाति के लोगों में यह बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाती है। इस विकार की वजह से इन लोगों को जूते पहनने में काफी परेशानी होती है। इन्हें दौड़ने और चलने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हालांकि जब बात पेड़ पर चढ़ने की आती है तो इस मामले में इनसे कोई नहीं जीत सकता। क्योंकि इस काम को वह बहुत आसानी से कर लेते हैं।
वडोमा जनजाति, जिसका उल्लेख अफ्रीका की सबसे पुरानी जनजाति के रूप में किया गया है, जिम्बाब्वे की एकमात्र शिकारी जनजाति है जो वर्तमान में ज़म्बेजी नदी घाटी के घाटियों के करीब कान्येम्बा क्षेत्र में रहती है। सदस्यों के लिए जनजाति के बाहर शादी करना गैरकानूनी है और इसके परिणामस्वरूप, दो उंगलियों वाली स्थिति अन्य जनजातियों पर लागू नहीं होती है। इस स्थिति वाले सदस्यों को समुदाय में विकलांग व्यक्ति नहीं माना जाता है और यह बताया गया है कि उनके पैर की उंगलियां उन्हें आसानी से पेड़ों पर चढ़ने में मदद करती हैं।