सोशल संवाद/बड़बिल (रिर्पोट-संजय सिन्हा) : बोलानी- लोक आस्था और सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ शनिवार को नहाय-खाय के साथ पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से प्रारंभ हो गया। व्रतियों ने इस दिन पवित्रता का संकल्प लेते हुए छठी मैया की आराधना शुरू की। रविवार को व्रती खरना अनुष्ठान संपन्न हुआ ,जो छठ पर्व का अत्यंत महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। बोलानी के सभी छठ व्रतियों ने मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी के जलावन से प्रसाद बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
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इस दिन अरवा चावल और गुड़ से बनी खीर, रोटी या पूरी के साथ केला प्रसाद के रूप में तैयार किया गया । नियमानुसार खरना पुजा मे व्रती खरना प्रसाद ग्रहण करेंगे। प्रसाद ग्रहण करने के बाद सभी व्रती 36 घंटे के कठोर निर्जला उपवास की शुरुआत करेंगे, जो अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने तक चलेगा। खरना का महत्व छठ पर्व में खरना का दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है।
इस दिन व्रती पूरे दिन शरीर, मन और विचारों को शुद्ध रखने का संकल्प लेते हैं। शाम के समय पूजा के उपरांत व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं और परिवार तथा पड़ोस के लोगों के साथ इसे साझा करते हैं, जिसे शुभ और मंगलकारी माना जाता है। *छठ पर्व का यह क्रमिक अनुशासन आत्मसंयम, शुद्धता और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, जो लोक परंपरा और आस्था को एक सूत्र में बांधता है।










