सोशल संवाद/डेस्क : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय को सोमवार को बाघमारा के विधायक और फिलवक्त धनबाद लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो ने अपने वकील के माध्यम से एक कानूनी नोटिस भिजवायी। इस कानूनी नोटिस में न तो दिन, तारीख, माह का जिक्र है और न ही इस बात का कि यह नोटिस किस आधार पर दिया जा रहा है। एक लाइन में जो बात समझ में आ रही है वह यह कि सरयू राय ने ढुलू महतो की छवि खराब की है और वह इसके लिए माफी मांगें य़ा फिर कोर्ट जाने को तैयार रहें।
कानूनी मामलों-संवैधानिक मामलों के विशेष जानकार सरयू राय ने उस नोटिस को पूरा पढ़ा और बयान दिया कि यह नोटिस जवाब देने के लायक नहीं है। यह रद्दी की टोकरी में फेंकने के लायक है और मैंने इसे फाड़ कर रद्दी की टोकरी में फेंक भी दिया है। जब नोटिस का कंटेंट इतना कमजोर हो तो कोई क्या प्रतिक्रिया देगा। उलटे सरयू राय ने कहा कि उनके (ढुलू) ऊपर जो आरोप हैं, वो सर्वविदित हैं। कोर्ट से सजा पाये जेल जा चुके अगर ढुलू महतो को इससे संतोष नहीं हो रहा है तो वह धनबाद लोकसभा क्षेत्र के हर गली-नुक्कड़-चौराहे पर पर्चे बंटवा सकते हैं, पोस्टर छपवा सकते हैं जिनमें क्रमवार उनके ऊपर दर्ज मामलों और सजा का पूरा विवरण रहेगा।
आम तौर पर लोगों को डराने, धमकाने वाले ढुलू महतो का पाला इस बार सरयू राय से पड़ा है। सरयू राय कई विषयों के मर्मज्ञ हैं। दीवानी-फौजदारी जैसे मामलों को वह खूब बढ़िया से समझते हैं और संवैधानिक जानकारी भी शानदार दर्जे की है उनकी। दरअसल, ढुलू महतो को मानहानि का नोटिस इसलिए नहीं भेजना चाहिए था, क्योंकि जो कुछ भी सरयू राय ने बोला है, वह पब्लिक डोमेन में है। कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी की सारी बातें सत्य हैं क्योंकि हो न हो, श्री राय के पास उनके सुबूत होंगे ही। आम तौर पर माना जाता है कि जब तक वह पूरी पड़ताल नहीं कर लेते, तब तक किसी भी विषय पर मुंह नहीं खोलते। अगर उन्होंने ढुलू के खिलाफ कुछ बोला है तो यह सोच-समझ कर और पुख्ता तरीके से ही बोला होगा ताकि वक्त-बे-वक्त अगर कोर्ट में उसे साबित करना हो तो वह कर सकें।
ऐसे आरोप हैं कि ढुलू महतो चास, बोकारो, चंदनकियारी, धनबाद के ग्रामीण क्षेत्रों, बाघमारा जैसे इलाकों में लोगों को अगड़े-पिछड़े, भीतरी-बाहरी के मुद्दे पर न सिर्फ भड़का रहे हैं बल्कि धनबल से मदद भी कर रहे हैं। एक बड़ा ग्रुप इस ताक में है कि चुनाव तक जितना ढुलू महतो से झींट सकते हो, झींट लो। बेशक चुनाव का परिणाम कुछ भी हो। धनबली ढुलू को अगर सही सलाहकार मिले होते तो वह सरयू राय को लीगल नोटिस भेजने जैसी मूर्खता नहीं करते।
इस बात से कौन इनकार कर सकता है कि ढुलू महतो पर 50 मुकदमे हैं। यह तो अखबारों में लगातार छपता रहा है। ये मुकदमे वेरीफाइड हैं। सोशल मीडिया पर भी इन मुकदमों का जिक्र है। ढुलू जेल में सजा भी काट चुके हैं। ये चीजें किसी से छिपाने के योग्य होती हैं क्या। ढुलू लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, लड़ें लेकिन उन्हें सोचना चाहिए कि कृष्णा अग्रवाल से फोन पर जिस धमकी भरे अंदाज में उन्होंने बातचीत की और जिस तरीके से 24 घंटे के भीतर ही कुख्यात अपराधी प्रिंस खान का कृष्णा अग्रवाल और सरयू राय के नाम से धमकी भरा ऑडियो संदेश आया, वह उनके अनुकूल तो नहीं ही था। अब जो होना है, वह होकर रहेगा।
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