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संविधान की प्रस्तावना में सोशलिस्ट-सेक्युलर शब्दों पर बहस हो’:RSS के होसबाले बोले- इमरजेंसी के दौरान संसद की अनुमति के बगैर जोड़े

By Tamishree Mukherjee

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RSS के होसबाले

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सोशल संवाद/डेस्क : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह (महासचिव) दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘सोशलिस्ट’ (समाजवादी) और ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) शब्दों को लेकर देश में खुली बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये दोनों शब्द मूल संविधान में नहीं थे और इमरजेंसी के दौरान संसद की सहमति के बिना जोड़ दिए गए थे।

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होसबाले 26 जून को दिल्ली में आयोजित ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, मूल संविधान में सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द नहीं थे। इमरजेंसी के समय देश में संसद और न्यायपालिका दोनों काम नहीं कर रही थी। इस दौरान इन दो शब्दों को जोड़ दिया गया। ये शब्द रहें या नहीं, इस पर बहस होनी चाहिए। होसबाले ने कांग्रेस और राहुल गांधी का नाम लिए बिना भी इमरजेंसी को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के समय संविधान की हत्या की गई थी और न्यायपालिका की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी।

दरअसल ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे। इस दौरान देश में आपातकाल था। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। यह 21 मार्च 1977 यानी 21 महीने तक लागू रहा था। भाजपा इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाती है।

होसबाले बोले- पूर्वजों के कारनामों पर माफी मांगें राहुल

होसबाले ने कांग्रेस और खासतौर पर राहुल गांधी पर भी बिना नाम लिए निशाना साधा। होसबाले ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाला गया, 250 से ज्यादा पत्रकारों को कैद किया गया, 60 लाख लोगों की जबरन नसबंदी करवाई गई और न्यायपालिका की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई। अगर ये काम उनके पूर्वजों ने किया था तो उनके नाम पर माफी मांगनी चाहिए।

42वें संविधान संशोधन में जोड़े गए- सोशलिस्ट और सेक्युलर

संविधान की प्रस्तावना में ‘सोशलिस्ट’ (समाजवादी) और ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) शब्द 1976 में 42वें संविधान संशोधन के जरिए जोड़े गए। यह संशोधन उस समय हुआ जब देश में आपातकाल (1975-77) लागू था और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। संविधान की मूल प्रस्तावना में ये दोनों शब्द नहीं थे। संशोधन के बाद प्रस्तावना में भारत को “संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य” कहा गया।

सोशलिस्ट और सेक्युलर का मतलब

सोशलिस्ट (समाजवादी) : ऐसी व्यवस्था जिसमें आर्थिक और सामाजिक समानता हो, संसाधनों का समान वितरण हो और गरीबों, कमजोरों के अधिकारों की रक्षा की जाए। यानी भारत में आर्थिक और सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया जाएगा।

सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) : राज्य सभी धर्मों का समान सम्मान करता है, किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेता और धर्म से ऊपर उठकर शासन करता है। यानी भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहेगा, जहां सभी धर्मों का समान सम्मान होगा और राज्य किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेगा।

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