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Tulsi Vivah 2025: कार्तिक शुक्ल द्वादशी पर होगा भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का दिव्य मिलन

By Aditi Pandey

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Tulsi Vivah The divine union on Kartik Shukla Dwadashi

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सोशल संवाद/डेस्क: सनातन परंपरा में कार्तिक महीने का शुक्ल पक्ष अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने की द्वादशी तिथि को Tulsi Vivah का विशेष उत्सव मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी के प्रतीक तुलसी पौधे और भगवान विष्णु के प्रतीक शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है। यह विवाह सृष्टि में प्रकृति और ईश्वर के मिलन का प्रतीक है, जो जीवन में संतुलन, सुख और समृद्धि का संदेश देता है।

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Tulsi Vivah 2025 का शुभ मुहूर्त

साल 2025 में तुलसी विवाह का दिन विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन सही विधि और शुभ मुहूर्त में तुलसी विवाह कराता है, उसके घर में सुख-शांति और धन-धान्य का वास होता है।

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:59 से 5:49 तक
  • प्रातः संध्या: सुबह 5:24 से 6:39 तक
  • अमृत काल: सुबह 9:29 से 11:00 तक
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:45 तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:04 से 6:30 तक

Tulsi Vivah का धार्मिक महत्व

कहा जाता है कि तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह विवाह स्त्री-पुरुष के मधुर संबंध, निष्ठा और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक भी माना जाता है। जो भी भक्त श्रद्धा भाव से इस दिन तुलसी विवाह संपन्न करते हैं, उनके वैवाहिक जीवन में स्थिरता और प्रेम बना रहता है। साथ ही परिवार में धन, सौभाग्य और सुख का आगमन होता है।

गन्ने से सजता है Tulsi Vivah का मंडप

इस दिन तुलसी जी का विवाह मंडप गन्ने से सजाया जाता है क्योंकि तुलसी माता को गन्ना अत्यंत प्रिय है। मंडप को फूलों, दीपों और रंगोली से भी सजाया जाता है। विवाह की रस्में पारंपरिक रीति से की जाती हैं जैसे तुलसी जी का श्रृंगार, शालिग्राम जी का बारात स्वरूप में स्वागत, आरती, फेरे और प्रसाद वितरण।

पूजा में आवश्यक सामग्री

हल्दी की गांठ, लाल चुनरी, शालिग्राम, गणेश जी और विष्णु जी की प्रतिमा, श्रृंगार सामग्री, बताशा, आंवला, बेर, चने की भाजी, अक्षत, कुमकुम, दीपक, तिल, घी, और मिठाई का प्रयोग किया जाता है। पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्य तुलसी के पौधे के चारों ओर दीप जलाकर परिक्रमा करते हैं और मंगलकामनाएं करते हैं।

आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश

तुलसी विवाह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि यह पर्यावरण, प्रकृति और मानवता के संतुलन का संदेश भी देता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि ईश्वर और प्रकृति का सम्मान करने से ही जीवन में स्थिरता और समृद्धि संभव है।

इस प्रकार तुलसी विवाह 2025 न केवल भक्ति और आस्था का पर्व है, बल्कि यह परिवार, समाज और प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी का स्मरण भी कराता है।

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