सोशल संवाद / डेस्क (सिद्धार्थ प्रकाश ) : हाल के घटनाक्रमों ने भारत के कॉर्पोरेट और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनंत अंबानी के वनतारा वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन प्रोजेक्ट की यात्रा ने खासा ध्यान आकर्षित किया है, विशेष रूप से इस कार्यक्रम में अंबानी परिवार की उपस्थिति के कारण। यह यात्रा ऐसे समय में हुई जब पिछले दो दिनों में शेयर बाजार में उल्लेखनीय उछाल देखा गया, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेज गिरावट आई।
वनतारा प्रोजेक्ट, जो रिलायंस के जामनगर रिफाइनरी परिसर में स्थित 3,000 एकड़ का वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र है, को अनंत अंबानी ने लॉन्च किया। इस पहल को पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के लिए सराहा जा रहा है और इसे कई मशहूर हस्तियों और खेल जगत की हस्तियों से भी समर्थन मिला है।
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के समय को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अंबानी परिवार के साथ यह सार्वजनिक जुड़ाव सरकार के कॉर्पोरेट गठजोड़ में एक रणनीतिक बदलाव का संकेत हो सकता है। ऐतिहासिक रूप से, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी दोनों ही भारत की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण स्थान रखते रहे हैं और मोदी प्रशासन के करीबी माने जाते हैं। हाल ही में अडानी समूह को धोखाधड़ी के आरोपों और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा बड़े रिश्वत कांड में फंसने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
इन घटनाओं के मद्देनजर, यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि अंबानी परिवार, जिसे “A2” कहा जाता है, अडानी समूह (“A1”) द्वारा छोड़े गए शून्य को भरने की कोशिश कर रहा है। यह संभावित पुनर्संयोजन मोदी प्रशासन की रणनीति का हिस्सा हो सकता है ताकि अमेरिकी चिंताओं को दूर किया जा सके और संभावित व्यापार युद्ध से बचा जा सके, विशेष रूप से तब जब न्यूयॉर्क के अभियोजकों ने गौतम अडानी पर सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए रिश्वतखोरी की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
रिलायंस के शेयरों में हालिया उतार-चढ़ाव इस स्थिति को और जटिल बना देता है। जबकि व्यापक बाजार में तेजी देखी गई, रिलायंस के शेयरों में गिरावट का कारण कई कारक हो सकते हैं, जिनमें निवेशकों द्वारा मुनाफा वसूली या कंपनी की भविष्य की दिशा को लेकर चिंता शामिल हो सकती है।
निष्कर्षतः, प्रधानमंत्री मोदी की वनतारा परियोजना की यात्रा, अंबानी परिवार की बढ़ती प्रमुखता और अडानी समूह के सामने आई चुनौतियाँ यह संकेत देती हैं कि भारत के कॉर्पोरेट-राजनीतिक ताने-बाने में संभावित रूप से एक रणनीतिक बदलाव हो रहा है। यह पुनर्संयोजन राष्ट्रीय आर्थिक हितों की रक्षा करने और विशेष रूप से अमेरिका की चिंताओं को संबोधित करने की एक योजना प्रतीत होती है।
क्या वनतारा परियोजना अवैध है?
वनतारा प्रोजेक्ट को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि यह कानूनी रूप से वैध है या नहीं। हालांकि इसे पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया जा रहा है, लेकिन इसकी कानूनी स्थिति को लेकर पूरी स्पष्टता नहीं है। यदि यह परियोजना सभी आवश्यक सरकारी स्वीकृतियाँ प्राप्त कर चुकी है, तो इसे अवैध नहीं कहा जा सकता। लेकिन अगर इसमें किसी भी प्रकार की पर्यावरणीय या भूमि उपयोग संबंधी अनियमितताएँ पाई जाती हैं, तो यह कानूनी विवादों में फंस सकती है।