सोशल संवाद / डेस्क : किसी राजनेता द्वारा एक सीनियर डॉक्टर को टारगेट करने की ये कोई पहली घटना नहीं थी और हमारे देश में इस तरह के कई उदाहरण मिल सकते है।कई वीडियो भी वायरल हो चुके हैऔर डॉ अर्चना शर्मा का केस हम लोग भूले नहीं है जहां उन्होंने एक्सेस प्रेशर की वजह से आत्महत्या तक कर लिया था।
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ठीक उसी तरह से एक विधायक का एक डॉक्टर के पीछे हाथ धो कर पड़ जाना और अंततः सरकार को प्रेशर में आकर एक सिविल सर्जन को बर्खास्त कर देने का ये एक अनूठा मामला है। मान सम्मान और प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में डॉ लाल रात दिन एक करते हुए हर अदालत में जीत हासिल की और आज हमारे राज्य सरकार ने कैबिनेट में पास करके उनकी खोई प्रतिष्ठा को सह सम्मान सारे रिटायरमेंट बेनिफिट के साथ लौटा दिया।
लेकिन सवाल यहां की क्या माननीय विधायक जी जो अपनी राजनीतिक उठा पटक की वजह से इनके पीछे पड़े, उनके वो पल लौटा सकते है जब डॉ लाल अपने करियर के पीक पर थे। क्या उनके परिवार और डॉ लाल ने जो मानसिक प्रताड़ना झेली उसकी भरपाई वो कर सकते है। पहले कोर्ट और अब सरकार का फैसला ऐसे नेताओं के मुंह में तमाचा है।