सोशल संवाद / डेस्क : मकर संक्रांति एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन सूर्य कि पूजा कि जाती है । इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं।इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। धार्मिक ग्रंथ महाभारत और पुराण में भी मकर संक्रांति पर्व का उल्लेख किया गया है। बताया जाता है कि पांडवों ने वनवास के दौरान मकर संक्रांति का पर्व मनाया था।
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एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कपिल मुनि पर देव इंद्र का घोड़ा चोरी होने का आरोप लग गया था। इस पर क्रोधित होकर मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को भस्म करने का श्राप दिया था। फिर जब इंद्र ने ऋषि से माफी मांगी और कपिल मुनि का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने इस श्राप को दूर करने के उपाय के तौर पर बताया कि वो मां गंगा को धरती पर लेकर आएं। फिर आगे चलकर राजा सगर के पोते अंशुमान और राजा भगीरथ की कड़ी तपस्या के बाद मां गंगा प्रसन्न होकर धरती पर प्रकट हुईं। धार्मिक मान्यतानुसार फिर जब राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया।
माँ गंगा के साथ इस पर्व का जुड़ाव होने के कारण ही मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना बहुत अच्छा माना जाता है। राजा भगीरथ ने भी अपने पूर्वजों का गंगाजल, अक्षत, तिल से श्राद्ध तर्पण किया था। तब से माघ मकर संक्रांति स्नान और मकर संक्रांति श्राद्ध तर्पण की प्रथा आज तक प्रचलित है।
महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही शरीर का परित्याग किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था। मकर संक्रांति के दिन ही भारत में किसान अपनी फसल काटते हैं। साल 2024 में ये त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा ।
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