सोशल संवाद/ डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर के अलावा की मुद्दों पर कांग्रेस को घेरा, अमित शाह ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर अपने ‘वोट बैंक’ को बचाने के लिए आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) को निरस्त करने का आरोप लगाया. शाह ने कहा, “2002 में अटल जी की एनडीए सरकार पोटा (आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002) लेकर आई थी. तब पोटा पर किसने आपत्ति जताई थी? कांग्रेस पार्टी ने. 2004 में सत्ता में आने के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने पोटा कानून को रद्द कर दिया. किसके फायदे के लिए कांग्रेस ने पोटा को रद्द किया?”
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आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा) आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि के बाद आतंकवाद-रोधी अभियानों को मजबूत करने के लिए लागू किया गया था. पोटा को 2001 के संसद और 9/11 के हमलों के बाद आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने के लिए मार्च 2002 में लागू किया गया था. इस अधिनियम को 28 मार्च 2002 को अधिसूचित किया गया था और सितंबर 2004 में निरस्त कर दिया गया था.
इस कानून के तहत किसी संदिग्ध को विशेष अदालत द्वारा 180 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता था. आतंकवाद के लिए धन उगाहने को ‘आतंकवादी कृत्य’ के रूप में परिभाषित किया गया था. इसमें आतंकवादी संगठनों से निपटने के भी प्रावधान थे, जिससे केंद्र को उन्हें अपनी सूची में शामिल या हटाने की अनुमति मिलती थी. इसके कई प्रावधानों को 2004 में निरस्त किये जाने के बाद गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में संशोधनों में शामिल किया गया था.
पोटा को कथित दुरुपयोग और मानवाधिकार उल्लंघन की चिंताओं के कारण 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UAPA) सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया था. कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कहा कि उन्हें चिंता है कि पिछले दो वर्षों में पोटा का घोर दुरुपयोग हुआ है.








