सोशल संवाद / डेस्क : हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं जबकि रातें छोटी होने लगती हैं।इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। यह सूर्य पूजा का महापर्व है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश को मेष संक्रांति कहते हैं। मेष संक्रांति को वर्ष की शुरुआत का समय भी माना जाता है।
यह आमतौर पर अप्रैल माह में होती है। इस दिन को भारत के कई राज्यों में त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। जैसे बंगाल में पोहेला बोइशाख, पंजाब में बैसाखी, ओडिशा में पाना संक्रांति आदि। खगोलशास्त्र के अनुसार, मेष संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायन की आधी यात्रा पूर्ण कर लेते हैं।
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मिथिला पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सुबह 8:30 में एवं काशी पंचांग के अनुसार प्रातः काल 8:42 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस कारण साल 2024 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
मकर संक्रांति पुण्यकाल – प्रातः 07:15 मिनट से सायं 06: 21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल –प्रातः 07:15 मिनट से प्रातः 09: 06 मिनट तक
इस समय में आपको मकर संक्रांति का स्नान और दान करना चाहिए। उस दिन महा पुण्य काल 1 घंटा 45 मिनट तक है। हालांकि पुण्य काल में भी मकर संक्रांति का स्नान दान होगा।
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