सोशल संवाद / डेस्क : आप सबने भगवान् श्री कृष्ण की बोहोत सारी लीलाओं की कथा सुनी होगी । कालिया दमन, पूतना वध,तो हर एक बचे को पता है । पर क्या अप सबने राजा पोंद्रक की कहने सुनी है जिसने स्वयं को कृष्ण बताकर असल श्री कृष्ण को नकली बताया था।
राजा पौंड्रक की कथा महाभारत और भागवत पुराण में बताई गई है। कहते है पौंड्रक करुपदेश का राजा था। कुछ पुरालेखों में पौंड्रक के काशी/चुनार देश/ या पुंड्र देश का राजा उल्लेख भी मिलता है। राजा पौंड्रक ने खुद को असली कृष्ण घोषित कर रखा था। वह स्वयं को भगवान विष्णु का अवतार बताता था। पौंड्रक मूर्ख एवं अविचारी था, जो अनीतियों पर चलता था। बताया जाता है की पौंड्रक के पिता का नाम भी वसुदेव था, इसलिए भी पौंड्रक खुद को वासुदेव कृष्ण मानता था।
पौंड्रक कुछ विद्याएं जानता था। विद्याओं का प्रयोग करके उसने स्वयं का स्वरूप श्रीकृष्ण की तरह बना लिया था। उसके पास नकली सुदर्शन चक्र था। श्रीकृष्ण के जैसी कौस्तुभ मणि, शंख, मोर पंख , बांसुरी जैसी सारी चीजें उसके पास भी थीं। वह द्वारिकधीश श्रीकृष्ण को नकली बताता था। भगवान श्रीकृष्ण बहुत समय तक पौंड्रक की इन गलतियों को क्षमा करते रहे। पौंड्रक के सलाहकार-मंत्रियों आदि उसके कान भरते रहते थे, उसे कहते थे, ‘आप भगवान विष्णु का अवतार हैं। मथुरा वाला कृष्ण तो काला है, ग्वाला है। तुम समस्त पृथ्वी पर शासन करो। पोंद्रक ने भी भगवान श्रीकृष्ण को नकली कहकर, उन्हें बुरा-भला बोलना शुरू कर दिया। उनका उपहास उड़ाता था। यहां तक कि उसने द्वारिका में दूत भी भेज दिया और वहां सभा में धमकी दिलवाई कि अब धरती पर भगवान विष्णु का असली अवतार हो चुका है। अत: तुम द्वारिका छोड़कर भाग जाओ।
बहुत समय तक श्रीकृष्ण उसकी बातों और हरकतों को नजरअंदाज करते रहे, बाद में उसकी ये सब बातें अधिक सहन नहीं हुईं और उन्होंने युद्ध की चुनौती स्वीकार कर ली। पोंद्रक भी बिलकुल श्री कृष्ण की तरह भेष धारण कर के 2 अक्षौहिणी सेना लेकर युद्धभूमि में आया। उसका और श्रीकृष्ण का घमासान युद्ध हुआ और अंत में श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से पौंड्रक का अंत कर दिया।