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क्यों बढ़ रहे है युवाओं और बच्चों में हार्ट अटैक की समस्या, जानिए बचाव के अहम उपाय

By Muskan Thakur

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सोशल संवाद/डेस्क : हम रोज अपने दिल की धड़कन को तो महसूस करते हैं, लेकिन अक्सर उसके स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। यही लापरवाही भारत में हर साल लाखों लोगों की जान ले रही है। पहले दिल की बीमारियों को बुजुर्गों की समस्या माना जाता था, लेकिन अब यह स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। अब नवजात शिशु, बच्चे, युवा और बुजुर्ग – सभी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।

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दिल से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है बदलती जीवनशैली, खानपान की गलत आदतें, मानसिक तनाव और नियमित जांच की कमी।

युवाओं में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले?

आजकल 25 से 35 साल के युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण है अनियमित दिनचर्या, फास्ट फूड का सेवन, अत्यधिक तनाव, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधियों की कमी। इसके अलावा, धूम्रपान और शराब की लत भी दिल की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।

हार्ट डिजीज के संकेत, जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक

अगर किसी को छाती में दर्द, भारीपन, अचानक पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना या बेहोशी जैसा अनुभव हो रहा है, तो यह संकेत हो सकते हैं कि दिल ठीक से काम नहीं कर रहा। इन लक्षणों को हल्के में लेना जानलेवा साबित हो सकता है।

बच्चों में भी बढ़ रहा है खतरा

बच्चों में हृदय रोग के लक्षण जन्म से ही हो सकते हैं, लेकिन कई बार इनकी पहचान देर से होती है। अगर बच्चा खेलते समय जल्दी थक जाए, सांस फूलने लगे या उसका वजन ठीक से न बढ़े तो यह हृदय रोग का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में माता-पिता को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी नियमित जांच कराते रहना चाहिए ताकि जन्म से पहले ही किसी संभावित खतरे का पता लगाया जा सके।

इलाज के दो तरीके: सर्जिकल और नॉन-सर्जिकल

हृदय रोग का इलाज दो तरीकों से किया जाता है – सर्जिकल और नॉन-सर्जिकल। सर्जिकल ट्रीटमेंट में दिल की ओपन सर्जरी की जाती है, जबकि नॉन-सर्जिकल में इंटरवेंशनल तकनीकों से बिना चीरफाड़ के इलाज संभव है। आधुनिक तकनीकों की मदद से आज दिल की कई बीमारियों का इलाज कम समय और कम जोखिम में किया जा सकता है।

कैसे रखें अपने दिल को स्वस्थ?

दिल को स्वस्थ रखने के लिए कुछ जरूरी सुझाव:

साल में कम से कम एक बार हेल्थ चेकअप जरूर करवाएं।

यदि परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास हो, तो हर छह महीने में जांच कराएं।

रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलें या व्यायाम करें।

जंक फूड, ओवरईटिंग और स्मोकिंग से बचें।

तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और पर्याप्त नींद लें।

बुजुर्गों और डायबिटिक मरीजों को विशेष सावधानी की जरूरत

डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और बढ़ती उम्र भी हृदय रोग के प्रमुख कारण हैं। ऐसे लोगों को अपनी जीवनशैली में अनुशासन लाने और नियमित रूप से शुगर, ब्लड प्रेशर और लिपिड प्रोफाइल की जांच करवाने की जरूरत है।

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