---Advertisement---

धृतराष्ट्र को 100 पुत्र खोने का दुःख क्यों सहना पड़ा, क्या था ये पिछले जन्म का पाप

By Tamishree Mukherjee

Published :

Follow

Join WhatsApp

Join Now

सोशल संवाद / डेस्क : महाभारत में धृतराष्ट्र के सौ पुत्र मारे गए थे । एक पिता के लिए इससे बड़ा दुःख कुछ नहीं था। ध्रितराष्ट्र को ये जानना था की उन्होंने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसका यह दंड मिला। दुर्योधन और दुःशासन मुख्य रूप से पांडवों और द्रोपदी के दोषी थे। उनके मारे जाने को तो धृतराष्ट्र कर्मदंडों से जोड़ रहे थे पर शेष पुत्रों की तो कोई भूमिका ही न थी। वे क्यों मारे गए। 

ये सारे सवाल ले के धृतराष्ट्र श्रीकृष्ण के पास गए। भगवान बोले- महाराज धृतराष्ट्र पिछले जन्म में भी आप एक राजा थे। आपके राज्य में एक तपस्वी ब्राह्मण रहते थे। ब्राह्मण के पास हंसों का एक जोड़ा था जिसके चार बच्चे थे। ब्राह्मण को उन हंसों से अपने संतान के जैसा लगाव था। ब्राह्मण को तीर्थयात्रा पर जाना था लेकिन हंसों की चिंता में वह जा नहीं पा रहे थे। वह आपके पास आया और आपने ब्राह्मण के तीर्थ से लौट आने तक हंसों की रक्षा का दायित्व स्वीकार लिया।  हंस आपके महल के तालाब में ही पलने लगे।

यह भी पढ़े : प्राचीन भारत के 5 सबसे शक्तिशाली धनुष

आपको एक दिन मांस खाने की तीव्र इच्छा हुई।  आप उस समय अपने महल के बाग में घूम रहे थे।  आपकी नजर हंसों पर पड़ गई।  आपने सोचा सभी जीवों का मांस खाया है पर हंस का मांस आज तक नहीं खाया। इसका स्वाद आखिर कैसा होता होगा। और एक दिन हंस के दो बच्चे भूनकर खा लिए। उसका स्वाद आपकी जिह्वा को लग गया। हंस के एक-एक कर सौ बच्चे हुए। आप सबको खाते चले गए। अंततः हंस का जोड़ा संतानहीन होकर दुख में मर गया। कई साल बाद वह ब्राह्मण वापस आया । आपने ब्राह्मण से कह दिया कि हंस बीमार होकर मर गए। ब्राह्मण दंपति आप पर पूरा भरोसा करता था। उसने आपकी बात मान ली और विलाप करते घर चले गए।

महाराज धृतराष्ट्र आपने हंस के बच्चों को खाकर और फिर झूठ बोलकर एक साथ कई अपराध किए, वह सुनिए। आपने तीर्थयात्रा पर गए उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात किया जिसने आपपर अंधविश्वास किया था। आपने प्रजा की धरोहर में डाका डालकर राजधर्म भी नहीं निभाया, जिह्वा के लालच में पड़कर हंस के सौ बच्चे भूनकर खा गए जो आपके पास आश्रय के लिए आए थे। इस तरह आपने उस असहाय का वध किया जिसे आपने आश्रय दिया था। इन सारे पापों का आपको दंड मिला।जैसे आपने जिह्वा के लालच में हंस के सौ बच्चे मारे, वैसे ही आपके सौ पुत्र हुए लालच में पड़कर मारे गए।  आपने उस इन्सान से झूठ बोला जिसने आपपर आंख मूंदकर भरोसा किया इसलिए आप इस जन्म में अंधे  बने और राजकाज में विफल हो गए।

YouTube Join Now
Facebook Join Now
Social Samvad MagazineJoin Now
---Advertisement---

संबंधित पोस्ट