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अलार्म स्नूज करना क्यों है खतरनाक? जानिए नींद, दिमाग और दिल पर इसके असर

By Muskan Thakur

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अलार्म स्नूज करना क्यों है खतरनाक

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सोशल संवाद /डेस्क : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सुबह समय पर उठना सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। ज्यादातर लोग अलार्म घड़ी या मोबाइल का सहारा लेते हैं, लेकिन एक आम आदत जो लगभग हर किसी में दिखती है, वह है बार-बार अलार्म को स्नूज करना। बहुत से लोग बिना 2–3 बार स्नूज दबाए बिस्तर से उठ ही नहीं पाते। यह आदत भले ही मामूली लगे, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमारी नींद, मानसिक स्वास्थ्य और दिल की सेहत के लिए गंभीर खतरे खड़ी कर सकती है।

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बार-बार अलार्म स्नूज करने से क्या होता है?

विशेषज्ञों के अनुसार, पहला अलार्म हमारे शरीर को जगाने का नैचुरल सिग्नल देता है। जब हम उसे अनदेखा कर स्नूज करते हैं तो शरीर की बॉडी क्लॉक यानी आंतरिक घड़ी भ्रमित हो जाती है। हर बार स्नूज दबाने के बाद दिमाग दोबारा नींद के शुरुआती चरण में प्रवेश करने लगता है, लेकिन उसे पूरा करने का समय नहीं मिलता। नतीजतन नींद का चक्र बाधित होता है और सुबह की ताजगी गायब हो जाती है।

गुरुग्राम स्थित तुलसी हेल्थकेयर के सीईओ और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. गौरव गुप्ता बताते हैं कि यह आदत लंबे समय में मेमोरी, इम्यून सिस्टम और हार्मोनल संतुलन को भी प्रभावित कर सकती है।

नींद की गुणवत्ता पर असर

हमारी नींद कई चरणों से होकर गुजरती है—हल्की नींद, गहरी नींद और REM (Rapid Eye Movement)। एक स्लीप साइकिल लगभग 90 मिनट का होता है। जब हम हर 10–15 मिनट में अलार्म बजने देते हैं, तो दिमाग नई नींद की प्रक्रिया शुरू करता है, लेकिन बीच में बाधा आने से यह अधूरी रह जाती है। परिणामस्वरूप, शरीर को पूरा आराम नहीं मिल पाता और नींद की गुणवत्ता गिर जाती है।

थकान और सुस्ती का कारण

अधूरी नींद का सबसे पहला असर दिनभर की थकान और आलस्य के रूप में दिखता है। ऐसे लोग सुबह उठने के बाद भी तरोताजा महसूस नहीं करते। ऑफिस या पढ़ाई में फोकस करना मुश्किल हो जाता है और बार-बार नींद आने जैसी समस्या बनी रहती है।

दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

नींद हमारे दिमाग के लिए रीसेट बटन की तरह काम करती है। जब यह पूरी नहीं होती, तो ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, याददाश्त और निर्णय लेने की ताकत कमजोर होने लगती है। लगातार स्नूज दबाने वाले लोगों में ब्रेन फॉग, चिड़चिड़ापन और मानसिक थकान आम हो जाते हैं। लंबे समय में यह डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकता है।

हार्मोनल असंतुलन

रिसर्च बताती है कि नींद बार-बार टूटने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। यही हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। परिणामस्वरूप मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और थायरॉइड जैसी समस्याएं जन्म ले सकती हैं।

दिल की सेहत पर खतरा

सुबह का अलार्म बजना शरीर को अचानक अलर्ट मोड में डाल देता है। जब यह बार-बार होता है, तो हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि यह आदत लंबे समय तक जारी रहने पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती है।

मूड और व्यवहार पर असर

बार-बार स्नूज करने की वजह से नींद अधूरी रह जाती है, जिससे दिनभर मूड स्विंग्स, गुस्सा और उदासी का अनुभव हो सकता है। धीरे-धीरे यह आपकी मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डाल सकता है। नींद और मानसिक संतुलन का सीधा संबंध है, इसलिए पर्याप्त नींद न लेना गंभीर मानसिक विकारों की वजह बन सकता है।

स्नूज की आदत कैसे छोड़ें?

केवल एक अलार्म लगाएं और उसे इतनी दूरी पर रखें कि बंद करने के लिए बिस्तर से उठना पड़े।
सोने का समय तय करें, ताकि शरीर को पर्याप्त नींद मिल सके।
मोबाइल के बजाय पारंपरिक अलार्म क्लॉक का इस्तेमाल करें।
सुबह उठते ही एक गिलास पानी पिएं और हल्की स्ट्रेचिंग करें।
सोने से पहले कैफीन या स्क्रीन टाइम से बचें।

क्या स्नूज हमेशा नुकसानदेह है?

दिलचस्प बात यह है कि कुछ स्टडीज का मानना है कि थोड़े समय के लिए स्नूज लेना हर किसी के लिए नुकसानदेह नहीं होता। जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से स्नूज करने वाले लोग केवल 6 मिनट की नींद खोते हैं और इससे उनके मूड या नींद पर खास असर नहीं पड़ता।

स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी की रिसर्चर टीना सुंडेलिन कहती हैं, “सुबह उठने से पहले थोड़ी झपकी लेना सभी के लिए बुरा नहीं है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि पिछली रात आपकी नींद कितनी पूरी हुई थी।”

अलार्म स्नूज करना देखने में छोटी आदत लगती है, लेकिन यह धीरे-धीरे हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाती है। नींद अधूरी रह जाने का असर केवल थकान तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह दिमाग, हार्मोन और दिल पर भी गहरा प्रभाव डालता है। अगर आप भी बार-बार स्नूज दबाने के आदी हैं, तो बेहतर होगा कि अपनी नींद का पैटर्न सुधारें और समय पर सोने की आदत डालें। पूरी नींद ही सेहतमंद शरीर और सकारात्मक मानसिकता की कुंजी है।

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