January 15, 2025 8:40 pm

जालंधर के इस शक्तिपीठ में गिरा था माता सती का बाम स्तन, देवता भी करने आते है यहाँ दर्शन

सोशल संवाद / डेस्क (रिपोर्ट : तमिश्री ) – पंजाब के जालंधर में देवी पुराण में वर्णित 51 शक्तिपीठो में से एक स्थित है ।  जालंधर शक्तिपीठ में यहाँ माता सती का वाम स्तन गिरा था। यहाँ की शक्ति ‘त्रिपुरमालिनी’ तथा भैरव ‘भीषण’ हैं।   मां त्रिपुरमालिनी धाम श्री देवी तालाब मंदिर की परिक्रमा के दौरान स्थित है। जहां पर पंजाब ही नहीं बल्कि देश भर से मां के  भक्त शामिल होकर देवी के मंदिर में नतमस्तक होते हैं।

बताया जाता है कि मां त्रिपुरमालिनी मंदिर में श्रद्धालु मन्नतें मांगने के लिए देश भर से यहां पर आते हैं, जो पूरी होने पर खीर का प्रसाद तथा लाल झंडे लेकर बैंड बाजों के साथ मां त्रिपुरमालिनी का शुकराना करने पहुंचते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक जब भगवान शिव की पत्नी सती माता अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति को न बुलाए जाने का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूद गई। भगवान शिव को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया व राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में भगवान शिव ने अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए।

ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 200 साल पुराना है। इस मंदिर के पास एक झील है जिसे पवित्र माना जाता है। लेकिन जालंधर में शक्ति पीठ का चित्रण किसी भी धार्मिक ग्रंथ में नहीं मिलता है। यह मानना ​​उचित होगा कि कांगड़ा घाटी, हिमाचल प्रदेश जिसमें ‘कांगड़ा शक्ति पीठ’ है। ये तीन जागृत देवियाँ- चिंतपूर्णी, ज्वाला और वैश्वेश्वरी तथा कांगड़ा माता सत्ता में हैं। यहां विश्वाक्ष्मी देवी का मंदिर है, जहां प्रतिमा का वक्षस्थल कपड़े से ढका हुआ है और धातु निर्मित चेहरा बाहर दिखता है। इसे ‘स्थानपीठ’ और ‘तीरगर्थ तीर्थ’ भी कहा जाता है और इसे ‘जालंधर पीठ’ नामक शक्तिपीठ माना जाता है।

जैसा कि हम जानते हैं त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ उस स्थान पर बनी है जहां माता सती का स्तन गिरा था, इसलिए इसे स्तम्भपीठ के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, ऐसा कहा जाता है कि मूर्ति में माता वैष्णो देवी, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की शक्ति भी है, ये सभी देवियाँ भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। अन्य शक्तिपीठों की तरह यहां भी एक दीया हमेशा जलता रहता है। त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ में मुख्य रूप से रविवार और मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

कहते है इस स्थान पर संयोगवश भी जिसकी मृ्त्यु हो जाती है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां तक की अगर कोई पशु भी यहां प्राण त्याग देता है, तो वह भी सद्गति प्राप्त कर लेता है। क अन्य मान्यता के अनुसार सभी देवता मातारानी से मिलने के लिए आंशिक रूप से यहां उपस्थित होते हैं।

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