सोशल संवाद/डेस्क : प्राईवेट ट्रस्ट बनाकर ठाकुर बाड़ी राधा कृष्ण मंदिर की बेशकीमती जमीन पर झारखंड धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड के एक सदस्य, तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार और अक्षेष के तत्कालीन विशेष पदाधिकारी दीपक सहाय और तत्कालीन आरक्षी अधीक्षक के साथ मिलीभगत कर कब्जा कर किया और एक बहुमंजिला कामर्शियल काम्प्लेक्स बना कर अवैध पैसे कमाने शुरू कर दिये।
1912 से पहले एक आदिवासी ने उक्त जमीन को राधा कृष्ण मंदिर बनाने के लिए दान में दी और 1976 में माननीय पटना उच्च न्यायालय के डिविजन बेंच ने उक्त मंदिर को बिहार धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड की संपति करार दिया जब एक पुजारी ने उक्त मंदिर को कब्जा की कुत्सित कोशिश की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने माननीय उच्च न्यायालय को बताया कि
ठाकुर बाड़ी राधा कृष्ण मंदिर को गैरकानूनी तरीके से एक मारवाड़ी प्राईवेट ट्रस्ट द्वारा कब्जा कर अवैध तरीके से कामर्शियल काम्प्लेक्स बनाया है और उससे अवैध कमाई किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सत्य नारायण ठाकुर बाड़ी ट्रस्ट मारवाड़ियों का एक प्राईवेट ट्रस्ट है और इसे ठाकुर बाड़ी मंदिर में प्रवेश करने का भी अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि उक्त जमीन प सिर्फ झारखंड धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड को निर्माण करने या मंदिर में कोई बदलाव करने का हक है किसी प्राईवेट ट्रस्ट को नहीं।
उन्होंने आगे बताया कि सारे संबधित अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया गया पर किसी ने मंदिर की सुध नहीं ली। उन्होंने आगे बताया कि अक्षेष ने माना कि उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स का कोई नक्सा अक्षेष ने पास नहीं किया है और अक्षेष ने तीन नोटिस तालिम करने के बाद भी उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स को गिराया नहीं बल्कि ₹2 लाख पेनाल्टी लेकर जाने दिया। उन्होंने आगे बताया कि तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स के उद्घाटन पर एक विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुआ था।
प्राईवेट मारवाड़ी ट्रस्ट किस कानून के तहत बनी और उसे किस कानून के तहत उक्त मंदिर की जमीन पर कब्जा करने दिया गया। माननीय अदालत ने उपायुक्त को कहा है कि वह बताये कि कब से वह कामर्शियल काम्प्लेक्स चल रही है, कितने पैसे कमाये गये, पैसे कहाँ जमा किये गये और कौन उसका लाभार्थी है। माननीय उच्च न्यायालय ने झारखंड धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड को निर्देश दियाहै कि वह बताये कि उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स को सरकार के अधिकार में बनाया गया है या किसी प्राईवेट ट्रस्ट को अधिकृत किया गया कि वह उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स को बनाये और अपनी इच्छानुसार कोई कमिटी बनाकर उसे चलाये।