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हाईकोर्ट बोला- बदलापुर की घटना को एनकाउंटर मानना मुश्किल:रिपोर्ट बताती है गोली सिर पर मारी, सेल्फ डिफेंस में तो पैर पर गोली चलाते हैं

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद /डेस्क : ठाणे के बदलापुर में नर्सरी की दो बच्चियों के साथ यौन शोषण के आरोपी अक्षय शिंदे के एनकाउंटर पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को सवाल उठाए।

कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा- हम कैसे मान लें कि 4 अफसर एक आरोपी को संभाल नहीं पाए। हथकड़ी भी लगी थी, अगर सेल्फ डिफेंस जैसी स्थिति थी तो आरोपी के पैर पर गोली मारते हैं, सिर में नहीं।

बेंच ने कहा- अगर गोली चलाने वाला अफसर असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर है, तब वह यह नहीं कह सकता कि उसे रिएक्ट कैसे करना है, इसकी जानकारी नहीं थी। उसे पता होना चाहिए कि फायर कहां करना है।

कोर्ट ने कहा- जैसे ही आरोपी ने ट्रिगर दबाया 4 लोग आसानी से उस पर काबू पा सकते थे। वो कोई बहुत मजबूत आदमी नहीं था। यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल है। इसे एनकाउंटर नहीं कहा जा सकता है।

अक्षय के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाकर एनकाउंटर की SIT से जांच की मांग की है। इस पर जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने सुनवाई की। अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।

बदलापुर यौन शोषण केस, ये है मामला :

12-13 अगस्त: आरोपी ने 1 अगस्त को स्कूल जॉइन किया, 12 दिन बाद यौन शोषण

बच्चियों से रेप का आरोपी अक्षय शिंदे स्कूल में स्वीपर का काम करता था। वह 1 अगस्त को ही कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। 12 और 13 अगस्त को उसने स्कूल के गर्ल्स वॉशरूम में किंडरगार्टन में पढ़ने वाली 3 और 4 साल की दो बच्चियों का यौन शोषण किया।

घटना के बाद दोनों बच्चियां स्कूल जाने से डर रही थीं। एक बच्ची के माता-पिता को शक हुआ तो उन्होंने बेटी से पूछताछ की। इसके बाद बच्ची ने सारी बात बताई। फिर उस बच्ची के माता-पिता ने दूसरी बच्ची के पेरेंट से बात की। इसके बाद दोनों बच्चियों का मेडिकल टेस्ट हुआ, जिसमें यौन शोषण का खुलासा हुआ।

17 अगस्त: आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया, बच्चियां अक्षय को दादा कहती थीं

पुलिस पूछताछ में सामने आया था कि बच्ची आरोपी शिंदे को दादा (बड़े भाई के लिए मराठी शब्द) कहकर बुलाती थी। बच्ची के मुताबिक, ‘दादा’ ने उसके कपड़े खोले और गलत तरीके से छुआ। स्कूल में जहां घटना हुई थी, वहां महिला कर्मचारी नहीं थी।

दोनों बच्चियों का परिवार जब केस दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचा, तो पुलिस ने भी FIR दर्ज करने में टालमटोल की। पीड़ित परिवारों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं से मदद मांगी। दो दिन बाद 16 अगस्त की देर रात पुलिस ने शिकायत दर्ज की। पुलिस ने 17 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया था।

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