March 19, 2025 3:38 pm

यमन में अमेरिका का हमला – क्या ये युद्ध की दस्तक है?

US attack in Yemen

सोशल संवाद/डेस्क (सिद्धार्थ प्रकाश): मध्य पूर्व की तपती रेत में एक नया भूचाल आ चुका है। अमेरिका ने यमन में हौथी विद्रोहियों पर हवाई हमले कर दिए हैं, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं। इन हमलों में अब तक 21 लोगों के मारे जाने की खबर है, लेकिन असली सवाल यह है – क्या यह सिर्फ एक चेतावनी थी या फिर अमेरिका किसी बड़े युद्ध की तैयारी कर रहा है?

अमेरिका का हमला: रात के अंधेरे में गरजे फाइटर जेट्स

गहरी रात में अमेरिकी फाइटर जेट्स यमन के आसमान में गरजे और देखते ही देखते हौथी ठिकानों को तबाह कर दिया। पेंटागन के अनुसार, यह हमला हौथी विद्रोहियों द्वारा रेड सी में किए गए हमलों और समुद्री व्यापार पर बढ़ते ख़तरों के जवाब में किया गया।

यमन, जो पहले ही गृहयुद्ध की आग में जल रहा है, अब एक और बड़े टकराव का अखाड़ा बनता जा रहा है। हौथी विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जबकि अमेरिका और उसके सहयोगी इस बढ़ते प्रभाव को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

इस हमले के नतीजे: आग और भड़क सकती है?

क्षेत्रीय प्रभाव

ये हमले पूरे मध्य पूर्व को अस्थिर कर सकते हैं। यमन का गृहयुद्ध पहले से ही खाड़ी देशों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। सऊदी अरब और यूएई ने अमेरिका के हमले का समर्थन तो किया है, लेकिन उन्हें डर है कि इससे हौथी विद्रोही और ज़्यादा आक्रामक हो सकते हैं।

वहीं, ईरान ने अमेरिका के हमलों की कड़ी आलोचना करते हुए गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है। अगर यह टकराव और बढ़ा, तो यह पूरे क्षेत्र को एक नए युद्ध की ओर धकेल सकता है।

वैश्विक व्यापार पर असर

यमन के पास स्थित बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है। अगर यह संघर्ष लंबा खिंचता है, तो तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

वाशिंगटन में इस हमले पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे अमेरिका की ज़रूरी कार्रवाई बता रहे हैं, तो कुछ इसे ‘नए अंतहीन युद्ध की शुरुआत’ के रूप में देख रहे हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय देशों ने चिंता जताई है और सभी पक्षों से शांति वार्ता की अपील की है।

भू-राजनीतिक साजिश: अमेरिका बनाम ईरान

ईरान का खेल

यमन सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि वैश्विक शक्तियों के लिए शतरंज की बिसात है। ईरान के लिए हौथी विद्रोही उसकी रणनीति का अहम हिस्सा हैं। ठीक वैसे ही जैसे उसने इराक में शिया मिलिशिया और लेबनान में हिज़बुल्लाह को अपना समर्थन दिया है।

अगर अमेरिका अपने हमले जारी रखता है, तो ईरान अपने जवाबी हमले के तौर पर खाड़ी में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकता है। इस संघर्ष के चलते पूरे क्षेत्र में हिंसा भड़कने की आशंका बनी हुई है।

चीन और रूस की रणनीति

चीन और रूस इस संघर्ष को लेकर सतर्क नज़र बनाए हुए हैं। चीन, जो रेड सी और अफ्रीका में अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करना चाहता है, शांति का आह्वान कर सकता है। वहीं, रूस पहले से ही यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है, लेकिन इस स्थिति को अमेरिका के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलने के मौके के रूप में देख सकता है।

आगे क्या होगा?

आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि ये हमले सिर्फ एक ‘वार्निंग शॉट’ थे या फिर अमेरिका इस संघर्ष को और आगे ले जाने के मूड में है। क्या ईरान इस पर सीधा जवाब देगा? क्या अमेरिका और हौथी विद्रोहियों के बीच एक लंबी जंग छिड़ने वाली है?

यमन का संकट सिर्फ वहां के लोगों का नहीं रहा, बल्कि अब यह पूरी दुनिया की स्थिरता और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने वाला एक बड़ा भू-राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।

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