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सिद्धार्थ-जाह्नवी की ‘परम सुंदरी’ सिनेमाघरों में रिलीज, लेकिन क्या दिल जीत पाई ये फिल्म?

By Muskan Thakur

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सिद्धार्थ मल्होत्रा और जाह्नवी कपूर की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘परम सुंदरी’ आखिरकार 29 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म के ज़रिए दर्शकों को नॉर्थ और साउथ इंडिया की कल्चर क्लैश और एक मॉडर्न लव स्टोरी दिखाने की कोशिश की गई है। तुषार जलोटा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में सिद्धार्थ और जाह्नवी के अलावा संजय कपूर और मनजोत सिंह भी अहम भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं।

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कहानी में कितना है दम?

फिल्म की कहानी एक अमीर लेकिन असफल स्टार्टअप फाउंडर परम (सिद्धार्थ मल्होत्रा) और केरल की एक खूबसूरत और ट्रेडिशनल लड़की सुंदरी (जाह्नवी कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है। परम अपने पिता की चुनौती स्वीकार करता है कि अगर वह अपने डेटिंग ऐप से एक परफेक्ट जीवनसाथी ढूंढ लेता है, तो उसके पिता उसमें इन्वेस्ट करेंगे। इसी मिशन के तहत वह केरल पहुंचता है और वहां सुंदरी से मिलता है। पहले झूठा इश्क, फिर सच्चा प्यार और उसके बाद आने वाले उतार-चढ़ाव—यही है फिल्म की पूरी स्क्रिप्ट।

हालांकि कहानी सुनने में फ्रेश लग सकती है, लेकिन परदे पर यह बार-बार देखे जा चुके मसालों की तरह लगती है। फिल्म का पहला हाफ थोड़ा एंटरटेनिंग है, लेकिन दूसरा हाफ लंबा और थकाऊ हो जाता है।

डायरेक्शन में चूके तुषार जलोटा

तुषार जलोटा ने ‘परम सुंदरी’ को भव्य लोकेशन्स और चमक-धमक के साथ पेश किया है। केरल की खूबसूरती को उन्होंने बखूबी कैमरे में उतारा है, लेकिन स्क्रिप्ट और नैरेटिव में मजबूती की कमी साफ नजर आती है। साउथ इंडिया की परंपराओं को जिस तरह से फिल्म में दिखाया गया है, वह न केवल गलत है, बल्कि कई बार असंवेदनशील भी लगता है। मजाक और संस्कृति के नाम पर फूहड़ता फिल्म का हिस्सा बन जाती है, जो इसे कमजोर बना देती है।

परफॉर्मेंस में कौन रहा भारी?

अभिनय की बात करें तो सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपने लुक्स और चार्म से दर्शकों को आकर्षित किया है। उनका कैरेक्टर हल्का-फुल्का है और उन्होंने उसे ठीक तरीके से निभाया भी है। वहीं जाह्नवी कपूर के किरदार में दम नहीं है, और वो कहीं-कहीं फीकी नजर आती हैं। मनजोत सिंह ने हमेशा की तरह कॉमिक टच के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। संजय कपूर का किरदार सीमित है लेकिन ठीक-ठाक है।

निष्कर्ष: क्या देखनी चाहिए ‘परम सुंदरी’?

‘परम सुंदरी’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें सब कुछ होते हुए भी कुछ नया नहीं है। अगर आप सिद्धार्थ मल्होत्रा के फैन हैं, तो फिल्म आपको थोड़ी देर तक एंटरटेन कर सकती है। लेकिन अगर आप किसी नई कहानी, गहराई या इमोशनल कनेक्शन की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह फिल्म आपको निराश कर सकती है। फिल्म में पुराने बॉलीवुड मसालों की झलक तो है, लेकिन आज के दर्शकों को बांध पाने में यह सफल नहीं हो पाती।

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