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Jamshedpur लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन, पर्यावरण, वृक्षारोपण और जल संरक्षण पर होगी गहन चर्चा

By Aditi Pandey

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Jamshedpur Literature Festival to be organised

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सोशल संवाद/डेस्क: Jamshedpur लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का आयोजन 20 और 21 दिसंबर को होटल रामाडा, बिस्टुपुर में होगा. दो दिनों में साहित्य, कला, पत्रकारिता, जनजातीय संस्कृति और सिनेमा पर अनेक सत्र होंगे. लेकिन इस वर्ष का सबसे प्रमुख फोकस पर्यावरण, वृक्षारोपण, जल संरक्षण और जनभागीदारी है.इस साहित्यिक महाकुंभ में जलवायु संकट, जंगलों का क्षरण, समुदाय की भूमिका और टिकाऊ समाधान जैसे विषयों पर गहन संवाद होंगे.

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फेस्टिवल के दूसरे दिन आयोजित प्रमुख सत्र

फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को अपराह्न 3 बजे से “Green Revolution 2.0: जल, जंगल और जन–भागीदारी” विषयक महत्वपूर्ण सत्र आयोजित होगा, जिसमें राजस्थान से दो विशिष्ट पर्यावरण योद्धा पद्मश्री लक्ष्मण सिंह और पद्मश्री सुंडाराम वर्मा अपने अनुभव साझा करेंगे. उनके साथ झारखंड की विख्यात “लेडी टार्जन” पद्मश्री जमुना टुडू भी मंच पर होंगी, जिन्होंने वर्षों से जंगल कटाई के खिलाफ जन-संगठन बनाकर व्यापक जनजागरण का कार्य किया है. इस विशेष चर्चा का संचालन राज्य स्तरीय पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. शिवओम सिंह करेंगे, जो औद्योगिक परियोजनाओं, ईआईए, जल–वायु गुणवत्ता और पर्यावरणीय नीति-निर्माण पर अपनी विशेषज्ञ दृष्टि के लिए जाने जाते हैं.

कौन हैं पद्मश्री सुंडाराम वर्मा?

सुंडाराम वर्मा, जिन्हें 16-इंच वर्षा मॉडल का जनक माना जाता है, ने राजस्थान के सूखे इलाकों में सिर्फ एक लीटर पानी प्रति पौधा देकर हरियाली उगाने की अनोखी तकनीक विकसित की. उनके नवाचार ने कम वर्षा वाले क्षेत्रों में टिकाऊ कृषि को नई दिशा दी और हजारों किसानों को पर्यावरण-संवेदी खेती का मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित किया. वे इस बात के प्रमाण हैं कि वैज्ञानिक दृष्टि और स्थानीय अनुभव का मेल रेगिस्तानों में भी हरियाली पैदा कर सकता है.

कौन हैं पद्मश्री लक्ष्मण सिंह?

सामुदायिक जल संरक्षण के प्रणेता पद्मश्री लक्ष्मण सिंह की चौका प्रणाली ने वर्षों से सूखे से जूझते ग्रामीण इलाकों में पानी रोकने और सैकड़ों गाँवों में जीवन वापस लाने का काम किया. सामुदायिक श्रमदान और स्थानीय पहल को उन्होंने एक मजबूत जल प्रबंधन मॉडल का रूप दिया, जो आज पूरे देश में प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है. उनके नेतृत्व में राजस्थान के कई निर्जल गाँव पुनर्जीवित हुए और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिली.

कौन हैं पद्मश्री जमुना टुडू?

झारखंड की संताल जनजाति से आने वाली चाकुलिया की पद्मश्री जमुना टुडू को “लेडी टार्जन” के नाम से जाना जाता है. उन्होंने जंगल माफियाओं के खिलाफ वर्षों संघर्ष किया और तीन लाख से अधिक पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण को एक जन–आंदोलन का रूप दिया. महिलाओं को संगठित कर जंगलों की रक्षा में उनकी भूमिका झारखंड ही नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है.

कौन हैं पद्मश्री चामी मुर्मू?

फेस्टिवल में राजनगर, सरायकेला खरसावां की पद्मश्री चामी मुर्मू की उपस्थिति भी विशेष होगी, जिन्होंने संताल जनजाति की महिलाओं को संगठित कर 30 लाख से अधिक पौधारोपण का ऐतिहासिक अभियान खड़ा किया है. महिलाओं को स्वावलंबन से जोड़ते हुए उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को एक शक्तिशाली सामाजिक आंदोलन बना दिया.

दो दिन के आयोजन में विशेष केंद्र बिंदु होंगे मुंबई से आ रहे 90 वर्षीय आबिद सुरती

इस आयोजन का एक बड़ा आकर्षण मशहूर कार्टूनिस्ट, लेखक और पर्यावरण प्रेमी आबिद सुरती की भागीदारी होगी. ‘बहादुर’ और ‘डब्बू जी’ जैसे कालजयी कॉमिक पात्रों के सर्जक सुरती ने “Drop Dead Foundation” के माध्यम से पानी बचाने का अनोखा अभियान खड़ा किया.वे देशभर में घर–घर जाकर टपकते नलों की मुफ्त मरम्मत करवाते हैं और अब तक हजारों लीटर पानी बर्बाद होने से बचा चुके हैं. उनकी पहल ने जनजागरूकता को व्यवहारिक रूप दिया है और लोगों में “हर बूंद की कीमत” समझाने का अद्भुत काम कर रहे हैं.

जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल सिर्फ कार्यक्रम नहीं, एक चेतना है

आयोजन समिति के सदस्य मंटू अग्रवाल एवं डॉ. रागिनी भूषण ने कहा कि जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 केवल साहित्य और कला का मंच नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और सामुदायिक संवाद की एक महत्वपूर्ण पहल बनकर उभर रहा है. इस बार पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखकर होने वाली चर्चाएँ झारखंड और देशभर के युवाओं, शोधकर्ताओं, पर्यावरणसेवियों और आम नागरिकों के लिए दिशादर्शक सिद्ध हो सकती हैं.

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