सोशल संवाद / जमशेदपुर : होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं बल्कि खुशियों, एकता और प्रेम का उत्सव है। २०२५ में जब हम खुद को रंगों में सराबोर करेंगे तो हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे जिम्मेदारी से मनाएं – पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर सभी के लिए सुरक्षित और समावेशी तरीके से।
होली अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। प्रह्लाद और होलिका की कथा हमें सिखाती है कि सच्चाई और आस्था की हमेशा जीत होती है। आज के दौर में यह त्यौहार सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है बल्कि दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
हर उम्र और वर्ग के लोग होली को अपने तरीके से मनाते हैं:
बच्चे: उन्हें ऑर्गेनिक रंगों से खेलने दें और रंगोली या ईको-फ्रेंडली गुलाल बनाने जैसी क्रिएटिव एक्टिविटीज में शामिल करें।
युवा: सामूहिक आयोजनों में हिस्सा लें रंगों के साथ-साथ जल संरक्षण को भी बढ़ावा दें।
बुजुर्ग: उन्हें सम्मान दें टीका लगाकर होली मनाएं और उनके अनुभवों से सीखें।
महिलाएं और थर्ड जेंडर: होली समानता और सम्मान का त्यौहार होना चाहिए। सभी के लिए सुरक्षित और सहमति आधारित माहौल सुनिश्चित करें।
विदेशी और पर्यटक: उन्हें भारतीय परंपराओं से परिचित कराएं जैसे होली के व्यंजन और रंगों का सांस्कृतिक महत्व।
सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल होली
आधुनिक होली को परंपरा और जिम्मेदारी के साथ मनाएं:
* केमिकल रंगों की बजाय हर्बल और फूलों से बने रंगों का इस्तेमाल करें।
* पानी की बर्बादी न करें सूखी होली खेलें।
* प्लास्टिक के गुब्बारे और हानिकारक रंगों से बचें।
* एक-दूसरे की सुरक्षा और सहमति का ध्यान रखें।
* तेज़ आवाज़ वाली डीजे पार्टियों से बचें जिससे बुजुर्गों और जानवरों को परेशानी न हो।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
युवाओं को चाहिए कि वे होली की जड़ों से जुड़े रहें और इसे नए तरीकों से मनाएं। रंग उत्सव का आयोजन करें लोक संगीत और आधुनिक धुनों का मिश्रण लाएं और डिजिटल माध्यम से सुरक्षित होली के लिए जागरूकता फैलाएं। प्यार, हंसी और सम्मान के साथ इस त्यौहार को यादगार बनाएं।
इस होली रंगों में डूबें लेकिन ज़िम्मेदारी से!