सोशल संवाद / चाईबासा : चाईबासा में हुई इस दुखद घटना ने झकझोर कर रख दिया। जब भी हम लोग किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल जाते हैं, तो स्वस्थ होने की उम्मीद एवं इस भरोसे के साथ जाते हैं कि वहाँ हमारे जीवन की रक्षा की जायेगी।

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लेकिन चाईबासा के उन मासूम मरीजों को संक्रमित रक्त चढ़ाने की घटना ने इस भरोसे एवं विश्वास को तोड़ कर रख दिया। यह लापरवाही नहीं, बल्कि अपराध है, जिसके दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवाया जाना चाहिए। लेकिन अफसोस, राज्य सरकार द्वारा कुछ लोगों को निलंबित कर के, पूरे मामले की लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है।
इन मासूम बच्चों के जीवन की 2-2 लाख कीमत लगा कर, राज्य सरकार ने ना सिर्फ अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दिया है, बल्कि न्याय की मूल अवधारणा का मजाक बना कर रख दिया है। एक सरकारी अस्पताल में, सरकारी डॉक्टरों एवं कर्मचारियों द्वारा किए गए इस अपराध की जिम्मेदारी लेकर हर परिवार को कम से कम 1-1 करोड़ रुपए मुआवजा एवं पीड़ित परिवार की मर्जी के अस्पतालों में आजीवन मुफ्त इलाज की सुविधा देनी चाहिए।
इतने गंभीर मामले में भी, जिस प्रकार हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले मामले को दबाने की पुरजोर कोशिश हुई, उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन विडंबना देखिए, सीएम और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सोशल मीडिया पर ऐसा जताया गया, मानो वे मुआवजा देकर कोई एहसान कर रहे हों। अरे, कुछ तो शर्म करो !








