सोशल संवाद/डेस्क : आजकल सोशल मीडिया पर डार्क चॉकलेट का नाम खूब छाया हुआ है। कभी इसे पीरियड्स पेन कम करने का उपाय बताया जाता है, तो कभी इसे ऑफिस स्नैक और मिठाइयों का हेल्दी विकल्प बताया जाता है। हेल्थ इंफ्लुएंसर्स से लेकर कई बड़े ब्रांड्स तक इसे “सुपरफूड” की तरह प्रमोट कर रहे हैं। लेकिन क्या सचमुच डार्क चॉकलेट उतनी ही हेल्दी है, जितना इसके बारे में दावा किया जा रहा है?

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क्यों चर्चा में है डार्क चॉकलेट
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर डार्क चॉकलेट 70% या उससे ज्यादा कोको वाली हो और सीमित मात्रा में खाई जाए, तो यह दिल, त्वचा और दिमाग के लिए फायदेमंद हो सकती है। इसमें मौजूद फ्लेवोनॉइड्स और एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं और ब्लड फ्लो को बेहतर बना सकते हैं। यही वजह है कि इसे आजकल “हेल्दी स्नैक” की तरह मार्केट किया जा रहा है।
लेकिन डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि यह किसी भी तरह से दवा (Medicine) नहीं है। ज़रूरत से ज्यादा खाने पर यह फायदे से ज्यादा नुकसान भी पहुंचा सकती है।
क्या कहते हैं न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स?
नवी मुंबई के मेडिकवर हॉस्पिटल की डाइटेटिक्स हेड डॉ. राजेश्वरी पांडा के मुताबिक, डार्क चॉकलेट पोषक तत्वों से भरपूर तो है लेकिन इसे दवा कहना बिल्कुल गलत होगा। उनका कहना है:
“डार्क चॉकलेट में फ्लेवोनॉइड्स और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो दिल और दिमाग के लिए अच्छे हैं। लेकिन इसकी अधिक मात्रा ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल और कैलोरी इन्टेक को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि डार्क चॉकलेट में फैट, कैफीन और यहां तक कि कुछ हेवी मेटल्स भी मौजूद हो सकते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
न्यूट्रिशनल प्रोफाइल
70% से ज्यादा कोको वाली डार्क चॉकलेट में कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं।
50 ग्राम डार्क चॉकलेट बार में लगभग 5.5 ग्राम फाइबर
33% डेली वैल्यू (DV) आयरन
28% मैग्नीशियम
98% कॉपर
43% मैंगनीज
इसके अलावा इसमें ओलिक एसिड (दिल के लिए हेल्दी फैट), स्टीयरिक एसिड और पामिटिक एसिड भी पाए जाते हैं। लेकिन ध्यान रहे, इसी बार में करीब 300 कैलोरी और 12 ग्राम चीनी भी मौजूद होती है।
फायदे और सीमाएं
अध्ययनों में पाया गया है कि डार्क चॉकलेट ब्लड वेसल्स को रिलैक्स करती है, ब्लड फ्लो सुधारती है और तनाव के दौरान ब्लड प्रेशर व हृदय गति को नियंत्रित करने में मदद करती है।
हालांकि इसके रिजल्ट्स हर व्यक्ति पर समान नहीं होते। कुछ स्टडीज में इसके पॉजिटिव रिजल्ट्स सामने आए हैं, जबकि कुछ में कोई बड़ा फर्क नहीं दिखा।
मेंटल हेल्थ पर असर
कई लोग डार्क चॉकलेट को मूड बूस्टर मानते हैं। दरअसल, इसमें मौजूद फ्लेवोनॉइड्स, कैफीन और थियोब्रोमाइन मूड को थोड़े समय के लिए बेहतर बनाते हैं और सतर्कता (Alertness) बढ़ाते हैं। लेकिन लॉन्ग-टर्म में इसके मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर कोई पुख्ता फायदा साबित नहीं हुआ है।
किसे नहीं खाना चाहिए?
डॉक्टरों के अनुसार, बच्चे और गर्भवती महिलाएं डार्क चॉकलेट से पूरी तरह दूरी बनाए रखें। इसमें मौजूद हेवी मेटल्स और कैफीन उनके लिए नुकसानदेह हो सकते हैं।
कितनी मात्रा सही है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि डार्क चॉकलेट का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
रोजाना 30 से 60 ग्राम (एक–दो छोटे टुकड़े)
या हफ्ते में 100 से 200 ग्राम
इससे ज्यादा सेवन करने पर फायदे की बजाय नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।
डार्क चॉकलेट स्वादिष्ट और पौष्टिक स्नैक जरूर है, लेकिन इसे दवा या चमत्कारी हेल्थ फूड मानना गलत होगा। संतुलित मात्रा में इसका सेवन दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ज्यादा खाई तो यह सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकती है।
इसलिए अगर आपको डार्क चॉकलेट पसंद है, तो इसे आनंद के साथ खाइए, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल का विकल्प मत मानिए।








