सोशल संवाद / डेस्क: चेहरे की झुर्रियाँ अब उम्र की पहचान नहीं, बल्कि “गुनाह” मानी जाने लगी हैं। इंस्टाग्राम की फिल्टर्ड दुनिया और सोशल मीडिया पर ‘फ्लॉलेस लुक’ का दबाव इतना बढ़ चुका है कि 20 से 30 की उम्र के नौजवान भी बोटॉक्स और फिलर्स की लाइन में लग चुके हैं।
लेकिन सवाल उठता है — क्या ये सौंदर्य के नाम पर चल रही दौड़ शरीर को भीतर से खोखला तो नहीं कर रही?
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‘इलाज से पहले बचाव’ या ‘खुद से ग़द्दारी’?
जहां पहले एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट्स को सिर्फ 40+ उम्र के लिए माना जाता था, वहीं आज ब्यूटी ट्रेंड्स ने युवाओं को भी इसकी गिरफ्त में ले लिया है। बोटॉक्स, डर्मल फिलर्स और स्किन बूस्टर्स – ये नाम अब सिर्फ हाई-प्रोफाइल सेलेब्रिटी ट्रीटमेंट नहीं रहे, बल्कि छोटे शहरों के पार्लर तक पहुंच चुके हैं।
ये फैशन नहीं, चिकित्सा है
“खूबसूरत दिखना गलत नहीं, लेकिन इसके लिए उठाए गए कदम बेहद चिंताजनक हैं। ये कोई ब्यूटी ट्रेंड नहीं, बल्कि मेडिकल ट्रीटमेंट है, जिसमें सटीक ज्ञान और अनुभव की जरूरत होती है।”डॉक्टर के अनुसार, बोटॉक्स, जो मांसपेशियों को अस्थायी रूप से रिलैक्स करता है, डर्मल फिलर्स, जो त्वचा को भरा-भरा दिखाते हैं, और स्किन बूस्टर्स/पीआरपी, जो त्वचा की गुणवत्ता सुधारते हैं — सभी प्रक्रियाएं गहन चिकित्सकीय निगरानी की मांग करती हैं।
ख़ूबसूरती की कीमत बन सकती है जानलेवा
डॉ. नेहा ने यह भी बताया कि छोटे शहरों में अनट्रेंड स्टाफ और लाइसेंसविहीन क्लीनिक बोटॉक्स-फिलर्स जैसे इंजेक्शन लगा रहे हैं। कुछ लोग यूट्यूब देखकर “डॉक्टर” बन जाते हैं और रील्स देखकर युवा बिना सोचे समझे इन प्रक्रियाओं की ओर दौड़ पड़ते हैं।गलत इंजेक्शन से लकवा, ब्रेन स्ट्रोक या त्वचा को स्थायी नुकसान तक हो सकता है,
भारत में क्या है नियमन?
भारतीय चिकित्सा परिषद (NMC) और CDSCO जैसी एजेंसियाँ कहती हैं:
केवल पंजीकृत MD डॉक्टर या प्लास्टिक सर्जन ही ये उपचार कर सकते हैं।
लाइसेंसविहीन क्लीनिक अवैध हैं।
उपयोग की जा रही दवा, ब्रांड और खुराक का स्पष्ट रिकॉर्ड अनिवार्य है।
ग्राहक की सहमति और उचित दस्तावेज़ ज़रूरी हैं।
18 की उम्र में बोटॉक्स
डॉक्टर कहते हैं, “18 से 25 की उम्र में शरीर खुद बायोलॉजिकल कोलेजन बनाता है। इस उम्र में बोटॉक्स लेना न केवल अनावश्यक है, बल्कि लंबे समय में त्वचा को नुकसान भी पहुंचा सकता है।”
ब्यूटी इन्फ्लुएंसर्स और इंस्टाग्राम का प्रभाव
सोशल मीडिया पर पहले और बाद की तस्वीरें, ‘ग्लो अप जर्नी’ की कहानियां, और “नो फिल्टर लुक” की रील्स ,इन सबका प्रभाव युवाओं के दिमाग पर इतना गहरा है कि वे बिना सोचे-समझे खुद को इस दौड़ में झोंक रहे हैं।अगर आप भी बोटॉक्स, फिलर या स्किन बूस्टर लेने की सोच रहे हैं, तो रुकिए सोचिए और फिर फैसला लीजिए।
बोटॉक्स से पहले इन बातों का रखें ध्यान:
एलर्जी टेस्ट करवाएं
स्किन टाइप और मेडिकल हिस्ट्री की जांच जरूरी है
ट्रीटमेंट केवल प्रमाणित डॉक्टर से ही करवाएं
सोशल मीडिया से ज़्यादा अपने शरीर की सुनें
बोटॉक्स और एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट्स ने स्किन केयर की दुनिया में नई क्रांति ला दी है। लेकिन हर चमक सोना नहीं होती। असली खूबसूरती इंस्टाग्राम लाइक्स से नहीं, स्वस्थ और सुरक्षित त्वचा से आती है।
खुद को साबित करने के लिए नहीं, खुद से प्यार करने के लिए सही कदम उठाइए।








