सोशल संवाद / डेस्क ( सिद्धार्थ प्रकाश ) : हाल ही में इज़राइल और हमास के बीच कैदियों की अदला-बदली ने फिर से यह साबित कर दिया कि तथाकथित ‘मानवाधिकार’ के रक्षक कितने दोगले हैं—वही लोग जो आतंकवादियों के लिए आँसू बहाते हैं लेकिन निर्दोष नागरिकों के कत्ल, बलात्कार और क्रूर यातनाओं पर चुप्पी साध लेते हैं। कट्टर इस्लामिक आतंकी संगठन हमास ने चार मृत इज़राइली बंधकों के बदले 600 आतंकवादियों को छुड़वा लिया। यह दिखाता है कि वे स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि मौत और तबाही के सौदागर हैं।
यह भी पढ़े : सरकारी बैंकों की दर्दभरी विदाई – एक नई शुरुआत या अंत की शुरुआत?
मुस्लिम देशों और भारतीय प्रोपेगैंडावादियों की दोगलापन
अब मुस्लिम मौलवी कहाँ हैं? वे भारतीय पत्रकार और यूट्यूबर कहाँ हैं जो कुछ हफ्ते पहले हमास के पक्ष में चिल्ला रहे थे? ये कथित बुद्धिजीवी हमास को पीड़ित दिखाने में लगे रहे, लेकिन वे उन इज़राइली महिलाओं के बारे में कुछ नहीं कहते जिनका बलात्कार किया गया और उन्हें निर्ममता से मार डाला गया। उन मासूम बच्चों के बारे में कुछ नहीं जिनका नरसंहार हुआ।
यही दोगलापन दशकों से इस्लामी दुनिया को जकड़े हुए है। जब उनके आतंकी मारे जाते हैं तो पूरी दुनिया में हाय-तौबा मचाई जाती है, लेकिन जब निर्दोष नागरिकों का कत्ल होता है, तब ये मौन साध लेते हैं। तथाकथित ‘मुस्लिम उम्माह’ को मानवीय जीवन की परवाह नहीं, बल्कि सिर्फ कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा को बढ़ावा देना है।
7 अक्टूबर को क्या हुआ: वह सच्चाई जिसे दुनिया अनदेखा कर रही है
उस भयानक दिन, हमास के आतंकियों ने इज़राइल में घुसपैठ कर हाल के इतिहास की सबसे अमानवीय घटनाओं को अंजाम दिया। इज़राइली नागरिकों को अगवा कर यातनाएँ दी गईं, महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, उनके शरीर को इस हद तक क्षत-विक्षत किया गया कि पहचानना मुश्किल था। मासूम बच्चों को जिंदा जला दिया गया। यह बर्बरता इतनी भयावह थी कि अनुभवी युद्ध संवाददाता भी इसे देखकर स्तब्ध रह गए। फिर भी, दुनिया इस आतंकवादी संगठन को सहन कर रही है।
हमास के आतंकियों के वीडियो सामने आए हैं, जिनमें वे अपने जघन्य अपराधों पर गर्व करते हुए दिखते हैं। कुछ वीडियो में वे यह दावा कर रहे हैं कि वे इज़राइली शहरों को ‘ग़ाज़ा जैसी बर्बादी’ में बदल देंगे। यह कोई स्वतंत्रता संग्राम नहीं है, बल्कि इस्लामिक आतंकवाद का सबसे क्रूर रूप है। फिर भी, भारत और दुनिया के कई लोग उनके प्रति सहानुभूति जताते हैं।
भारत को आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए
भारत इस्लामिक आतंकवाद का भुक्तभोगी रहा है। 26/11 मुंबई हमला हो या पुलवामा नरसंहार, हमने देखा है कि जब आतंकवादी संगठनों को वैधता दी जाती है तो इसका क्या नतीजा होता है। हमास का किसी भी रूप में समर्थन करना—चाहे वह प्रचार हो, प्रदर्शन हो, या सोशल मीडिया कैंपेन—मानवता के खिलाफ गद्दारी है।
अब समय आ गया है कि भारत सरकार खुले तौर पर हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे और इज़राइल को पूर्ण समर्थन दे। राजनयिक संबंधों को मजबूत किया जाए, सैन्य सहयोग बढ़ाया जाए और भारत को मध्य पूर्व की एकमात्र लोकतांत्रिक शक्ति के साथ खड़ा होना चाहिए।
अब कोई समझौता नहीं—इज़राइल को हमास का संपूर्ण सफाया करना चाहिए
अगर दुनिया वास्तव में न्याय में विश्वास रखती है, तो हमास का पूरी तरह सफाया किया जाना चाहिए। इज़राइल को अपना बचाव करने का पूरा अधिकार है और अब उसे निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। अब कोई बातचीत नहीं होनी चाहिए—चाहे ट्रम्प हों या बाइडेन, कोई भी हस्तक्षेप करे, इज़राइल को अपने आतंकवाद विरोधी अभियान को रोकना नहीं चाहिए।
हमास के आतंकियों को उनकी मांद से निकालकर समाप्त किया जाना चाहिए। दुनिया को यह समझना होगा कि अब आतंकवादी संगठनों का ‘पीड़ित कार्ड’ नहीं चलेगा।
एक बेहतर इज़राइल वह होगा जहां आतंकवाद का नामोनिशान न हो। एक बेहतर दुनिया वह होगी जहां कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद के लिए कोई जगह न हो। भारत और हर सभ्य देश को इस लड़ाई में इज़राइल का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि हमारी खुद की सुरक्षा भी इसी पर निर्भर करती है।
भारत को इज़राइल का समर्थन करना ही होगा। कोई समझौता नहीं, कोई रहम नहीं—बस न्याय।