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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:सिब्बल ने कहा- नया कानून 20 करोड़ लोगों की आस्था का अधिकार छीन रहा, खामियां गिनाईं

By Tamishree Mukherjee

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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

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सोशल संवाद/डेस्क : केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। वहीं कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाओं पर कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह दलीलें रख रहे हैं।  सिब्बल ने संशोधित कानून की खामियां गिनाईं। इसके बाद CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कोर्ट के पास समय बहुत कम है। आप सिर्फ जरूरी बातें हमारे सामने रखिए।

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संसद से 4 अप्रैल को पारित हुए वक्फ संशोधन बिल को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की। तब से इसका लगातार विरोध हो रहा है।

कपिल सिब्बल ने कानून की खामियां गिनाईं

सिब्बल बोले- अगर मुझे वक्फ बनाना है तो मुझे सबूत देना होगा कि मैं 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं, अगर में मुस्लिम ही जन्मा हूं तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा पर्सनल लॉ यहां पर लागू होगा। सिब्बल ने कोर्ट के सामने अपने पॉइंट रखे। सेक्शन 3 अगर वक्फ विवादित नहीं है, या कोर्ट में मामला नहीं है। ऐसे में अगर वक्फ बनाने वाला कागजात देता है तो वक्फ कायम रहेगा।

CJI खन्ना ने कहा- वक्फ रजिस्टर कराने से आपकी मदद होगी

सिब्बल- मान लीजिए मेरी एक संपत्ति है और मैं चाहता हूं वहां अनाथालय बने। इसमें क्या परेशानी है। मुझे रजिस्टर कराना क्यों जरूरी है?

CJI खन्ना- वक्फ रजिस्टर कराएंगे तो ये रजिस्ट्रेशन आपकी मदद करेगा।

जस्टिस विश्वनाथन- जो अल्लाह का है, वो वक्फ है। कानून में झूठे दावों से बचने के लिए वक्फ डीड का प्रावधान है।

सिब्बल- यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है।

सिब्बल की दलील- हिंदू भी बोर्ड का हिस्सा होंगे, ये अधिकारों का हनन

सिब्बल- केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।

CJI जस्टिस खन्ना- इसमें क्या समस्या है? सभी पुराने स्मारक सुरक्षित रहेंगे ।ऐसे कितने मामले हैं? मुझे लगता है इस बारे में कानून आपके पक्ष में है। सभी पुराने स्मारक, जामा मस्जिद भी संरक्षित ही रहेंगे।

सिब्बल- 20 करोड़ लोगों का अधिकार छीना जा रहा है। विवाद की स्थिति में सरकारी अफसर जांच करेगा, यह असंवैधानिक है

सिब्बल बोले- सरकार यह घोषित कर सकती है कि प्रॉपर्टी उनकी है, लेकिन इसकी कोई समय सीमा नहीं है। आप कह रहे हैं कि विवाद की स्थिति में एक अफसर जांच करेगा, जो सरकार का होगा, यह असंवैधानिक है। किसी संरक्षित विरासत के बारे में की गई घोषणा बेअसर हो जाएगी। विवाद की स्थिति में सरकारी अफसर जांच करेगा, यह असंवैधानिक है

सिब्बल बोले- सरकार यह घोषित कर सकती है कि प्रॉपर्टी उनकी है, लेकिन इसकी कोई समय सीमा नहीं है। आप कह रहे हैं कि विवाद की स्थिति में एक अफसर जांच करेगा, जो सरकार का होगा, यह असंवैधानिक है। किसी संरक्षित विरासत के बारे में की गई घोषणा बेअसर हो जाएगी।

CJI बोले- आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष, यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है। हिंदुओं के मामले में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया है। आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है। यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है।

सिब्बल बोले- कानून के जरिए आस्था के अभिन्न अंग के साथ दखलंदाजी की गई है। इस संसदीय कानून के जरिए आस्था के अभिन्न अंग के साथ दखलंदाजी की गई है। आर्टिकल 26 कहता है कि किसी धर्म या समाज के हिस्से को अधिकार है कि धार्मिक और समाजसेवा के लिए संस्थान की स्थापना कर सकता है। धार्मिक मामलों को खुद ही मैनेज कर सकता है। चल और अचल संपत्ति का मालिकाना हक और अधिग्रहण करने का भी अधिकार है। कानून के आधार पर ऐसी संपत्तियों का एडमिनिस्ट्रेशन किया जा सकता है। कानून के आधार पर मैं धर्म की जरूरी परंपराओं का पालन कर सकता हूं।

पर्सनल लॉ बोर्ड- 87 दिन तक करेगा प्रदर्शन

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कानून के खिलाफ ‘वक्फ बचाव अभियान’ शुरू किया है। इसका पहला फेज 11 अप्रैल से शुरू होकर 7 जुलाई यानी 87 दिन तक चलेगा। साथ ही वक्फ कानून के विरोध में 1 करोड़ हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जो PM मोदी को भेजे जाएंगे। इसके बाद अगले फेज की रणनीति तय की जाएगी।

10 याचिकाएं और उनमें दी गई दलील 

सुप्रीम कोर्ट में जिन दस याचिकाओं पर सुनवाई होनी है, उन्हें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के AAP विधायक अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा ने दायर किया है।

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