सोशल संवाद/डेस्क : भारतीय सिनेमा के इतिहास में इस साल एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। गोवा में आयोजित होने वाले भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI 2025) में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन न सिर्फ फिल्मों के प्रति नजरिया बदलने वाला होगा, बल्कि यह बताएगा कि भविष्य में फिल्म निर्माण की प्रक्रिया कितनी अधिक तकनीकी और क्रिएटिव हो सकती है।
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से 20 से 28 नवंबर तक आयोजित होने वाले इस फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि AI तकनीक फिल्म निर्माण और कहानी कहने की प्रक्रिया को कैसे नया आयाम दे सकती है। इस आयोजन में फिल्म निर्माताओं, लेखकों, तकनीकी विशेषज्ञों और एआई डेवलपर्स को एक साथ लाया जाएगा ताकि कला और तकनीक के इस अनोखे संगम पर खुलकर चर्चा हो सके।
AI और सिनेमा का नया मेल
आज पूरी दुनिया में AI तेजी से मनोरंजन उद्योग का हिस्सा बन रहा है। चाहे वह स्क्रिप्ट राइटिंग हो, वीएफएक्स डिजाइनिंग या डिजिटल एडिटिंग — हर जगह AI की भूमिका बढ़ती जा रही है। ऐसे में भारत का यह पहला AI फिल्म फेस्टिवल एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।
फेस्टिवल के निदेशक और प्रसिद्ध फिल्मकार शेखर कपूर ने इस आयोजन के बारे में कहा कि “सिनेमा हमेशा से मानव रचनात्मकता का दर्पण रहा है। अब AI हमें वह ताकत दे रहा है जिससे हम अपनी कल्पनाओं को पहले से भी बेहतर तरीके से स्क्रीन पर उतार सकते हैं। यह फेस्टिवल उसी शक्ति का जश्न है।”

शेखर कपूर का मानना है कि तकनीक कभी कला की जगह नहीं ले सकती, लेकिन यह कलाकार को और अधिक स्वतंत्र और रचनात्मक बनने में मदद जरूर कर सकती है। इसीलिए, AI फिल्म फेस्टिवल का मकसद है रचनात्मकता को बढ़ावा देना, न कि उसे सीमित करना।
IFFI 2025 में AI से बनी फिल्मों की होगी स्क्रीनिंग
इस AI फिल्म फेस्टिवल में उन फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा जो पूरी तरह या आंशिक रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाई गई हैं। इसमें फिक्शन, डॉक्यूमेंट्री और एनिमेशन जैसी कई शैलियों की फिल्में शामिल होंगी। इन फिल्मों को देखकर दर्शक समझ पाएंगे कि तकनीक का इस्तेमाल केवल दृश्य प्रभावों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कहानी की आत्मा को भी नए तरीके से पेश कर सकता है।
48 घंटे का AI हैकथॉन
इस फेस्टिवल की सबसे खास बात होगी 48 घंटे का AI हैकथॉन। इसमें डेवलपर और फिल्मकार मिलकर एक छोटी AI-आधारित फिल्म बनाएंगे। इस प्रयोग से यह दिखाया जाएगा कि सीमित समय में AI तकनीक की मदद से किस तरह कहानी लिखी जा सकती है, डायलॉग तैयार किए जा सकते हैं और विजुअल्स को जीवन दिया जा सकता है।
इस दौरान प्रतिभागियों को एआई टूल्स के प्रयोग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, जिससे वे भविष्य में अपनी रचनात्मकता को और आगे बढ़ा सकें।
IFFI 2025 में नई तकनीकों पर वर्कशॉप
फेस्टिवल में विशेष वर्कशॉप भी आयोजित की जाएगी, जिसमें फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में AI के उपयोग पर विस्तार से चर्चा होगी। इसमें यह सिखाया जाएगा कि AI के जरिए स्क्रिप्ट, एडिटिंग, बैकग्राउंड म्यूजिक और विजुअल प्रेजेंटेशन को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
वर्कशॉप में दुनिया भर के प्रसिद्ध टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स और फिल्म इंडस्ट्री के बड़े नाम अपने अनुभव साझा करेंगे। यह कार्यक्रम न सिर्फ प्रोफेशनल फिल्ममेकर्स के लिए, बल्कि उन युवाओं के लिए भी बेहद उपयोगी होगा जो फिल्ममेकिंग की दुनिया में कदम रखना चाहते हैं।
रचनात्मकता और तकनीक का संगम
AI फिल्म फेस्टिवल का उद्देश्य केवल तकनीक दिखाना नहीं, बल्कि रचनात्मकता के नए आयामों को समझना है। शेखर कपूर ने कहा, “कला हमेशा इंसान की आत्मा से जन्म लेती है, और तकनीक उस आत्मा को और उजागर करने में मदद करती है।”
भारत जैसे देश में, जहां सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं बल्कि संस्कृति का हिस्सा है, AI का यह प्रवेश एक नए युग की शुरुआत हो सकती है।
भविष्य की दिशा
फिल्म विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में AI भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का एक अभिन्न हिस्सा बन जाएगा। इससे न केवल फिल्म निर्माण सस्ता और तेज़ होगा, बल्कि कहानियों की प्रस्तुति भी पहले से अधिक सशक्त और प्रभावशाली बनेगी।
IFFI 2025 का यह एआई फिल्म फेस्टिवल न केवल दर्शकों के लिए एक नई दृष्टि खोलेगा, बल्कि यह भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर नई पहचान भी दिला सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्र.1: AI फिल्म फेस्टिवल क्या है?
उत्तर: यह एक ऐसा कार्यक्रम है जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाई गई फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा और फिल्म निर्माण में एआई के प्रयोग पर चर्चा होगी।
प्र.2: यह कार्यक्रम कब और कहाँ होगा?
उत्तर: IFFI 2025 का आयोजन 20 से 28 नवंबर तक गोवा में किया जाएगा।
प्र.3: इस फेस्टिवल का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इसका उद्देश्य फिल्ममेकर्स और तकनीकी विशेषज्ञों को साथ लाकर रचनात्मकता और तकनीक के बीच संतुलन स्थापित करना है।
प्र.4: क्या इसमें आम लोग हिस्सा ले सकते हैं?
उत्तर: हाँ, वर्कशॉप और हैकथॉन में फिल्ममेकिंग से जुड़े विद्यार्थी, डेवलपर और युवा कलाकार भी भाग ले सकते हैं।
प्र.5: इस फेस्टिवल से फिल्म इंडस्ट्री को क्या फायदा होगा?
उत्तर: इससे नई तकनीकों के प्रयोग से फिल्म निर्माण की प्रक्रिया और अधिक रचनात्मक, तेज़ और किफायती बनेगी, जिससे भारतीय सिनेमा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।










