---Advertisement---

कोलकाता रेप-मर्डर; राष्ट्रपति बोलीं- मैं निराश और डरी हुई हूं:बहुत हो चुका, ऐसी घटनाओं को भूल जाना समाज की खराब आदत है

By Tamishree Mukherjee

Published :

Follow

Join WhatsApp

Join Now

सोशल संवाद /डेस्क : कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस के 20 दिन बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पहला बयान आया है। उन्होंने कहा कि मैं घटना को लेकर निराश और डरी हुई हूं। अब बहुत हो चुका। समाज को ऐसी घटनाओं को भूलने की खराब आदत है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने मंगलवार (27 अगस्त) को ‘विमेंस सेफ्टी: इनफ इज इनफ’ नाम के एक आर्टिकल को लेकर PTI के एडिटर्स से चर्चा में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह की अत्याचारों की इजाजत नहीं दे सकता।

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8-9 अगस्त की रात 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। उनका शव सेमिनार हॉल में मिला था। उनकी गर्दन टूटी थी। मुंह, आंखों और प्राइवेट पार्ट्स से खून बह रहा था।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आर्टिकल की मुख्य बातें पढ़ें…

राष्ट्रपति ने लिखा- कोलकाता में हुई डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना से देश सकते में है। जब मैंने इसके बारे में सुना तो मैं निराश और भयभीत हुई। ज्यादा दुखद बात यह है कि यह घटना अकेली घटना नहीं है। यह महिलाओं के खिलाफ अपराध का एक हिस्सा है।

जब स्टूडेंट्स, डॉक्टर्स और नागरिक कोलकाता में प्रोटेस्ट कर रहे थे, तो अपराधी दूसरी जगहों पर शिकार खोज रहे थे। विक्टिम में किंडरगार्टन की बच्चियां तक शामिल थीं। कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह की अत्याचारों की इजाजत नहीं दे सकता। देश के लोगों का गुस्सा जायज है, मैं भी गुस्से में हूं।

पिछले साल महिला दिवस के मौके पर मैंने एक न्यूजपेपर आर्टिकल के जरिए अपने विचार और उम्मीदें साझा की थीं। महिलाओं को सशक्त करने की हमारी पिछली उपलब्धियों को लेकर मैं सकारात्मक हूं। मैं खुद को भारत में महिला सशक्तिकरण की इस शानदार यात्रा का एक उदाहरण मानती हूं। लेकिन, जब भी मैं देश के किसी कोने में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में सुनती हूं तो मुझे गहरी पीड़ा होती है।

राष्ट्रपति बोलीं- समाज को खुद के अंदर झांककर मुश्किल सवाल पूछने होंगे

पिछले साल महिला दिवस के मौके पर मैंने एक न्यूजपेपर आर्टिकल के जरिए अपने विचार और उम्मीदें साझा की थीं। महिलाओं को सशक्त करने की हमारी पिछली उपलब्धियों को लेकर मैं सकारात्मक हूं। मैं खुद को भारत में महिला सशक्तिकरण की इस शानदार यात्रा का एक उदाहरण मानती हूं। लेकिन, जब भी मैं देश के किसी कोने में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में सुनती हूं तो मुझे गहरी पीड़ा होती है।

मैंने रक्षाबंधन पर स्कूल के बच्चों से मुलाकात की थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हम उन्हें भरोसा दिला सकते हैं कि निर्भया जैसे केस अब नहीं होंगे। मैंने उन्हें बताया कि हर नागरिक की रक्षा करना राष्ट्र की जिम्मेदारी है, लेकिन साथ ही सेल्फ-डिफेंस और मार्शल आर्ट्स में ट्रेनिंग लेना सभी के लिए जरूरी है, खासतौर से लड़कियों के लिए, ताकि वे और ताकतवर हो सकें।

लेकिन यह महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं है, क्योंकि महिलाओं की सुरक्षा कई कारणों से प्रभावित होती है। जाहिर सी बात है कि इस सवाल का पूरा जवाब सिर्फ हमारे समाज से आ सकता है। समाज को ईमानदारी, निष्पक्षता के साथ आत्म-विश्लेषण करने की आवश्यकता है।

समाज को खुद के अंदर झांकना होगा और मुश्किल सवाल पूछने होंगे। हमसे कहां गलती हुई? इन गलतियों को दूर करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? इन सवालों का जवाब ढूंढ़े बिना, आधी आबादी उतनी आजादी से नहीं जी पाएगी, जितनी आजादी से बाकी आधी आबादी जीती है।

मुर्मू बोलीं- इतिहास से डरने वाला समाज चीजों को भूल जाता है

राष्ट्रपति ने कहा कि अक्सर घृणित मानसिकता वाले लोग महिलाओं को अपने से कम समझते हैं। वे महिलाओं को कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान के रूप में देखते हैं।

निर्भया कांड के बाद 12 सालों में रेप की अनगिनत घटनाओं को समाज ने भुला दिया है। समाज की भूलने की यह सामूहिक आदत घृणित है। इतिहास का सामना करने से डरने वाला समाज ही चीजों को भूलने का सहारा लेता है।

अब समय आ गया है कि भारत अपने इतिहास का पूरी तरह से सामना करे। हमें जरूरत है कि इस विकृति का सब मिलकर सामना करें ताकि इसे शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाए।

YouTube Join Now
Facebook Join Now
Social Samvad MagazineJoin Now
---Advertisement---