सोशल संवाद / डेस्क ( सिद्धार्थ प्रकाश ) : यूक्रेन में बढ़ते तनाव के बीच ब्रिटेन और फ्रांस ने 30,000 सैनिकों को भेजने की योजना बनाई है। यह निर्णय तब लिया गया है जब अमेरिका की नीतियों में परिवर्तन और रूस के आक्रामक रुख के कारण यूरोप को अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हुई है।
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ब्रिटेन और फ्रांस को यूक्रेन में सैनिक भेजने की जरूरत क्यों पड़ी?
रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए यूरोपीय देशों ने सक्रिय भूमिका निभाने का निर्णय लिया है। फ्रांस ने अपनी विदेशी सेना की टुकड़ी को यूक्रेन भेजा है, जो डोनबास क्षेत्र में यूक्रेनी सेना की सहायता करेगी।
ब्रिटेन भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है। यह तैनाती यूरोप की स्वतंत्र विदेश नीति और सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
क्या ट्रंप की नीतियां अमेरिका और यूक्रेन के रिश्तों में दरार पैदा कर सकती हैं?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने अमेरिका और यूक्रेन के संबंधों में तनाव उत्पन्न किया है। ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ बैठक में युद्ध को शीघ्र समाप्त करने की इच्छा जताई, लेकिन उनकी रूस के प्रति नरम रुख ने यूक्रेन में चिंता बढ़ाई है।
इसके अलावा, ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में रूस का समर्थन किया, जिससे यूक्रेन के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता पर सवाल उठे हैं।
कनाडा के नए प्रतिबंध रूस पर कितना असर डाल सकते हैं?
कनाडा ने रूस के 35 और नागरिकों पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें गैज़प्रोम और अन्य ऊर्जा क्षेत्र की संस्थाओं से जुड़े लोग शामिल हैं।
इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस की आर्थिक गतिविधियों को सीमित करना और यूक्रेन पर उसके आक्रमण के लिए उसे जिम्मेदार ठहराना है। हालांकि, इन प्रतिबंधों का वास्तविक प्रभाव रूस की अर्थव्यवस्था और उसकी नीतियों पर कितना पड़ेगा, यह समय ही बताएगा।
यूरोप ने यूक्रेन को समर्थन देने का स्पष्ट संदेश दिया है, लेकिन अमेरिका की बदलती नीतियों ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या वास्तव में अमेरिका यूक्रेन का सच्चा मित्र है?