सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली का तिमारपुर वार्ड नंबर 11, जिसमें संगम विहार, वजीराबाद जैसे क्षेत्र आते हैं, सफाई व्यवस्था की बदहाली से जूझ रहा है। जगह-जगह फैली गंदगी, जाम पड़ी नालियाँ और खुले में बिखरा कूड़ा न केवल लोगों के लिए असुविधा का कारण बन रहा है, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट भी पैदा कर रहा है। स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है, जिससे गलियों में जलभराव हो गया है और बदबूदार वातावरण में रहना मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद, स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की तरफ से इस समस्या को हल करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है।
संगम विहार और वजीराबाद की गलियों में नालियों की सफाई महीनों से नहीं हुई है, जिससे पानी का बहाव रुक गया है और गंदगी सड़कों पर आ गई है। इस जलभराव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि स्थानीय निवासियों का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। नगर निगम और सफाई कर्मियों की लापरवाही के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। प्रशासन की निष्क्रियता ने लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है, जिससे क्षेत्र में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
मेट्रो स्टेशन वाली सड़क पर बिखरा कूड़ा और उसमें से भोजन तलाशती आवारा गायें इस समस्या को और गंभीर बना रही हैं। ये गायें कभी सड़क किनारे खड़ी हो जाती हैं, तो कभी बीचों-बीच बैठ जाती हैं, जिससे वजीराबाद की ओर से आने वाले वाहनों को खतरा बना रहता है। कई बार दुर्घटनाएँ होते-होते बची हैं, लेकिन इसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह न केवल यातायात के लिए समस्या पैदा कर रहा है, बल्कि इन आवारा पशुओं की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रहा है।
तिमारपुर वार्ड की पार्षद प्रोमिला गुप्ता होने के बावजूद सफाई व्यवस्था में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि जनता की समस्याओं की ओर से पूरी तरह बेपरवाह हो जाते हैं। नगर निगम के सफाई अभियानों के बड़े-बड़े दावे केवल कागजों तक सीमित रह जाते हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। अगर प्रशासन की लापरवाही इसी तरह जारी रही, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी बदतर हो सकती है।
तिमारपुर वार्ड के लोगों को स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं का अधिकार मिलना चाहिए। नगर निगम और स्थानीय प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए नालियों की सफाई, कूड़ा प्रबंधन और आवारा पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए। अगर जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो जनता को मजबूरन सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ेगा। अब समय आ गया है कि प्रशासन नींद से जागे और जनता की बुनियादी समस्याओं को हल करने के लिए ठोस कार्य योजना बनाए, ताकि लोग साफ-सुथरे और स्वस्थ वातावरण में जीवन जी सकें।
