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होली का अनोखा महोत्व

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद/ डेस्क : होली भारत का एक रंगीन और लोकप्रिय त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम, एकता और सद्भाव को दर्शाता है, जिसमें लोग रंगों से खेलते हैं, पुरानी कटुता को भूल जाते हैं और एक-दूसरे को रंगकर खुशियां मनाते है

यह त्योहार जाति, धर्म और समाज की दीवारों को तोड़कर सभी को एकजुट करता है. होली लोगों को पुरानी कटुता को भूलकर एक-दूसरे से गले मिलकर प्रेम और सद्भाव के साथ जीवन शुरू करने का अवसर प्रदान करती है.

होली पर लोग तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं और उन्हें एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं. होली से पहले होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई के नाश और अच्छाई की विजय का प्रतीक है. होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है।

होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी हैप्रह्लाद की। माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था।अपने बल के अहंकार में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था।

प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती।

हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

 प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है।

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