सोशल संवाद / डेस्क : पाकिस्तान में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद टीवी चैनल लगातार बम धमाकों और मौतों की खबरें दिखा रहे हैं। इससे लोगों में डर पैदा हो रहा है। जो लोग पहले से ही चिंता या पैनिक अटैक से पीड़ित हैं, उनकी हालत और खराब हो रही है। सामान्य वयस्क भी डर और तनाव के लक्षण दिखा रहे हैं। मॉक ड्रिल और बंकरों की खबरें भी लोगों में डर पैदा कर रही हैं।
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युद्ध चिंता क्या है?
विशेषज्ञों के अनुसार, जब लोग युद्ध की खबरें बार-बार देखते हैं, तो उन्हें डर और चिंता होने लगती है। इसे “युद्ध चिंता” कहते हैं। इससे लोग बेचैन हो जाते हैं, ठीक से सो नहीं पाते और हमेशा डर में रहते हैं। बच्चों को इससे बुरे सपने और डर लगने की समस्या हो सकती है।
खुद को SAFE कैसे रखें?
बच्चों को सुरक्षित और समझदारी भरा माहौल मिलना जरूरी है। माता-पिता को उनके साथ समय बिताना चाहिए और उनके डर को समझकर दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। अनुसार, युद्ध और हिंसा की खबरें बच्चों और बड़ों दोनों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं।
एंज़ायटी बढ़ा सकती हैं डरावनी खबरें: रिसर्च
रिसर्च में पता चला है कि एंज़ायटी से जूझ रहे लोग बार-बार डरावनी खबरें देखते हैं, जिससे उनकी हालत और बिगड़ जाती है। युद्ध, धमाकों और हमलों की खबरें उन्हें ज़्यादा घबराहट में डाल सकती हैं। ऐसी खबरों से दूरी बनाने की सलाह देते हैं।
इस महत्वपूर्ण सुझाव पर विचार करें
युद्ध की चिंता को प्रबंधित करने के लिए, उस पर ध्यान केंद्रित करें जिसे आप नियंत्रित कर सकते हैं, आत्म-देखभाल को प्राथमिकता दें, और सहायता के लिए दूसरों से जुड़ें। समाचारों के प्रति अपने संपर्क को सीमित करें, सचेत जागरूकता का अभ्यास करें, और उन गतिविधियों में शामिल होने पर विचार करें जो आपको खुशी देती हैं