सोशल संवाद / डेस्क : लक्ष्मण उतेकर के निर्देशन में बनी फिल्म “ छावा” हर किसी को पसंद आ रही है। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तो धमाका किया ही साथ ही लोगों के दिलों में भी जगह बनाई। छत्रपती संभाजी महाराज का रोल निभाकर विक्की कौशल ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग छवि तो बनाई ही उनके साथ –साथ औरंगजेब के रोल में अक्षय खन्ना ने भी खूब वाहवाही बटोरी। इसके अलावा भी एक कलाकार उभर के आए जिनके लिए बॉलीवुड तैयार ही नहीं था। वो थे कवि कलश का किरदार निभाने वाले ऐक्टर विनीत कुमार सिंह।
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46 साल के विनीत ने फिल्म में शुरू से आखिर तक अपनी जान डाल दी। उन्होंने अपने अविस्मरणीय अभिनय से एक प्रभावशाली छाप छोड़ी। इससे पहले पिताह, सिटी ऑफ़ गोल्ड, शॉर्ट्स, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर, अग्ली, बॉलीवुड डायरीज़, मुक्केबाज़, सांड की आँख, सिया, बार्ड ऑफ़ ब्लड और रंगबाज़: डर की राजनीति जैसी फ़िल्मों और सीरीज़ में भी नज़र आ चुके हैं।
अगर इतिहास की बात करें तो कवि कलश छत्रपती संभाजी महाराज के सबसे करीबी दोस्तों में से एक थे। कवि कलश एक जिम्मेदार और कुशल प्रशासक और योद्धा भी थे, जिन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज के शासनकाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साल 1684 में रायगढ़ किले के पास एक भीषण युद्ध के दौरान, कवि कलश ने शहाबुद्दीन खान को हराया था। नके अविश्वसनीय कौशल के कारण, संभाजी महाराज ने उन्हें चंदोगामात्य (Pinnacle of Poets) की उपाधि दी थी। औरंगजेब की सेना ने छत्रपति संभाजी महाराज और कवि कलश को पकड़ लिया था। वो उन्हें इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर कर रहा था। हालांकि ऐसा ना करने पर दोनों को आखिरी में मार दिया गया।
कौन हैं विनीत कुमार सिंह ?
विनीत कुमार सिंह का जन्म 28 अगस्त 1978 को वाराणसी में हुआ था। विनीत एक नेशनल लेवल बास्केटबॉल प्लेयर रह चुके हैं। उन्होंने CPMT क्वॉलिफाइड की है और मेडिकल कॉलेज से टॉपर भी रह चुके हैं। वह एक लाइसेंस प्राप्त मेडिकल प्रैक्टिशनर हैं। उनके पास आर.ए. पोद्दार आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज से आयुर्वेद, मेडिसिन और सर्जरी में ग्रेजुएशन की डिग्री है और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नागपुर से आयुर्वेद में एमडी की डिग्री है।
वह मुंबई सुपरस्टार टैलेंट हंट का हिस्सा बनने के लिए आए थे। यहां जीतने के बाद एक्टर और डायरेक्टर महेश मांजरेकर ने उन्हें संजय दत्त की फिल्म ‘पिताह’ में काम दे दिया था। फिल्म कुछ खास नहीं रही। बाद में उन्हें काम के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा। फिर उन्होंने महेश मांजरेकर की फिल्म ‘विरुद्ध’ और ‘देह’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया। अभिनेता की पहली बॉलीवुड सफल भूमिका हिंदी-मराठी फ़िल्म सिटी ऑफ़ लाइट्स में आई थी। इसके बाद उन्होंने मुक्काबाज़, रंगबाज़, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर, अग्ली, बॉम्बे टॉकीज़ जैसी फ़िल्मों में उल्लेखनीय काम किया। उन्हें पहचान फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से मिली थी। उन्हे लगा था कि मुक्काबाज़ से वह बतौर हीरो चमक जाएंगे, लेकिन फिल्म की फ्लॉप ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया।
‘छावा’ में विनीत की बेहतरीन परफॉर्मेंस ने दर्शकों के साथ- साथ क्रिटिक्स को भी खूब इंप्रेस किया है। सफलता और पहचान कमाने में उन्हें 22 साल लग गए। खुद विनीत का मानना है कि उन्हें कवि कलश किरदार निभाकर जो प्रसिद्धी मिल रही है, उसके बाद उनसे कोई पूछेगा नहीं कि आप कौन हैं?