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आखिर क्यों जलाई जाती है होलिका , जाने धार्मिक कथा

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद / डेस्क : देशभर में होली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। रंगों की होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग लकड़ियों और उपले से होलिका तैयार करते हैं और शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित कर पूजा करते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भक्त प्रह्लाद और उनके पिता राजा हिरण्यकश्यप से जुड़ी है।हिरण्यकश्यप एक दयालु राजा था, जिसने खुद को भगवान का दर्जा दिया था और चाहता था कि सभी लोग उसकी पूजा करें। लेकिन उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसने अपने पिता की बात को अस्वीकृत कर दिया था। इससे क्रोधित हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार प्रह्लाद बच जाता था।

अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को एक जादुई चक्र मिला था, जो आग में जलने से बचती थी। योजना के अनुसार, होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई ताकि प्रह्लाद जल जाए। लेकिन भगवान की कृपा से वह चंद्र उड़कर प्रह्लाद को बचाने में सफल हो गया, जबकि होलिका जलकर राख हो गई।

इसे नकारात्मक ऊर्जा के नाश और सकारात्मकता के आगमन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और घर-परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। होलिका की राख को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, जिसे लोग अपने घर लाकर तिलक करते हैं ताकि बुरी शक्तियों से बचाव हो सके।

होलिका दहन को छोटी होली कहा जाता है।

होलिका दहन 2025: शुभ मुहूर्त और तिथियां

  • फाल्गुन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 बजे
  • फाल्गुन पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे

होलिका दहन के दिन पूजा का भी विधान है। इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और सकारात्मकता का वास होता है।

इस घटना की याद में हर साल होलिका दहन किया जाता है। होलिका में  लकड़ी, घी, गेहूं, चने की बालियां, जौ, गोबर के उपले, गुलाल और जल अर्पित किया जाता हैं। पूजा के दौरान लोग घरों की बालियां, नारियल इत्यादि अग्नि को चढ़ाते हैं।

होलिका दहन का संदेश यह है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः हमेशा सच्चाई और अच्छाई की ही जीत होती है।

होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका दहन कहा जाता है। इस दिन लोग लकड़ियों और उपलों का ढेर बनाकर होलिका का दहन करते हैं। होलिका दहन बुराई के अंत का प्रतीक है। दूसरे दिन को धुलंडी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, नाचते-गाते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। होली के दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और माफ कर देते हैं।

होली का त्योहार सभी को एक साथ लाता है और लोगों के बीच भाईचारे और सद्भाव को बढ़ावा देता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना चाहिए। होली का त्योहार न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में मनाया जाता है। यह त्योहार हमें एकता, प्रेम और सद्भाव का संदेश देता है।

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