सोशल संवाद / डेस्क : हर साल की तरह इस साल भी मार्च 2025 से रमजान का पाक महीना शुरू हो रहा है, जिसे दुनिया भर के मुसलमान बड़े ही अदब और एहतराम के साथ मनाते हैं. रमजान इस्लामिक कैलेंडर का सबसे पवित्र महीना है, जिसमें रोजा रखना हर मुसलमान के लिए अनिवार्य किया गया है.
ये भी पढे : खान पान का रखे ध्यान आइए जानते है गर्मियों में क्या खाना चाहिए और क्या खाने से बचे
यह महीना न केवल अल्लाह की इबादत का होता है, बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है मुसलमान इस महीने में सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोजा रखते हैं, जिसमें वे खाने-पीने और दुनियावी बुरी आदतों से परहेज करते हैं.
रोजा सिर्फ भूखा और प्यासा रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह अपनी इच्छाओं को काबू में रखने, धैर्य और संयम का अभ्यास करने तथा अल्लाह के करीब जाने का जरिया है. रमज़ान का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसी महीने में इस्लाम के पवित्र ग्रंथ दुनिया कुरान मे उतारा गया था. इसलिए इस महीने में कुरान की तिलावत (पाठ) का विशेष महत्व है.
रमज़ान का असली उद्देश्य इंसान को तकवा (परहेजगारी) सिखाना है, जिससे वह अपनी आत्मा को शुद्ध कर सके और अल्लाह की रहमत प्राप्त कर सके. इस महीने में मुसलमान अधिक से अधिक नमाज पढ़ते हैं, तरावीह पढ़ते है. अल्लाह की इबादत करते हैं, और अपनी गलतियों की तौबा करते हैं.
रोजा रखने का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह इंसान को गरीबों और जरूरतमंदों की तकलीफ का अहसास कराता है. जब कोई व्यक्ति दिनभर भूखा-प्यासा रहता है तो उसे उन लोगों का दर्द समझ में आता है, जो हर दिन भूख और गरीबी से जूझते हैं. यही कारण है कि रमज़ान में जकात (दान) और सदका (खैरात) देने की परंपरा होती है, ताकि समाज में जरूरतमंदों की मदद हो सके. इस महीने मे एक नेकी का सबाब 70 गुना जायदा मिलता है.
रमजान का सबसे खास समय उसकी आखिरी दस रातें होती हैं, जिनमें लैलतुल कद्र (शबे कद्र) आती है. इस रात को हजार महीनों से भी ज्यादा बरकतों वाली रात कहा गया है. आखिर में रमजान का समापन ईद-उल-फित्र के साथ होता है, जिसे खुशी और अल्लाह का शुक्र अदा करने के दिन के रूप में मनाया जाता है. कुल मिलाकर, रमजान सिर्फ एक इबादत नहीं, बल्कि यह इंसान को नेकदिल और बेहतर इंसान बनाने का महीना है.