सोशल संवाद/डेस्क : आजादी के बाद अगर उस गांव में पहली बार किसी को सरकारी नौकरी मिले तो कितनी खुशी होगी.यहाँ तक की उस व्यक्ति के साथ परिवार के साथ उसके पुरे गाँव के लोग खुश होंगे.जी हां ये सत्य घटना है किशनगंज का एक ऐसा गांव जहां आजादी के इतने सालों बाद भी आज तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली. ऐसे में किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड के सतकौआ पंचायत के काशटोला, हारिभिट्टा गांव के रहने वाले हैं मनोज कुमार सिंह ने बीपीएससी टीआरई एग्जाम पास कर पहली सरकारी नौकरी लेने जा रहे हैं. बतौर शिक्षक मनोज पहले ऐसे नौजवान है जो अपने गांव में सरकारी नौकरी जॉइन करेंगे. मनोज बताते हैं कि उनके गांव पढ़ाई का कोई माहौल नहीं है.
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पूरे गांव में मात्र 7 बच्चे ग्रेजुएशन किए हैं. गांव की लड़के 10वीं 12वीं करने के बाद अमूनन पंजाब दिल्ली निकल जाते हैं कमाने. ऐसे में हमने दसवीं करने के बाद यह सोच लिया था कि किसी भी हालत में सरकारी नौकरी तो लेनी ही है, ताकि गांव के और भी नौजवानों को प्रेरणा मिले. पापा ने बड़ी मुश्किल से अपना पेट काटकर 10वीं करवाया. उसके बाद 12वीं किशनगंज में रहकर किया और 2011 से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लग गया और आज जाकर सफलता मिली है.
गांव में लगभग 30 से 40 घर है. इनमें से एक भी घरों में आज तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं हुआ. गांव में शिक्षा का माहौल भी नहीं है. ऐसे में मेरे पिता ने दसवीं करवाने के बाद किशनगंज मारवाड़ी कॉलेज में एडमिशन करवाया और 12वीं करने के बाद पापा ने कहा कि अब अपना खर्च का रास्ता निकालो, क्योंकि घर की हालत भी ठीक नहीं थी.
वह आगे बताते हैं कि शिक्षक बनने का एकमात्र उद्देश्य है कि गांव के शैक्षणिक व्यवस्था को सुधारना है, क्योंकि गांव की साक्षरता दर बमुश्किल 10% है. गांव में पढ़े-लिखे लोगों की संख्या बहुत कम है. पूरे गांव में मात्र 7 बच्चे ही ग्रेजुएशन कर पाए हैं. अब तक इसीलिए गांव के नौजवानों को अब प्रोत्साहित करेंगे, ताकि हमारे गांव में शिक्षा का माहौल पैदा हो और भी नौजवान आगे आए.
मनोज ने बताया कि शिक्षक बनने का उद्देश्य यही रहा है. शुरुआत से की गांव की शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार लाएं पूरे गांव में बमुश्किल 10% लोग पढ़े लिखे हैं. आज तक सिर्फ सात बच्चे ही ग्रेजुएशन कर पाए हैं. किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली. हम पहले लड़के हैं जो सरकारी नौकरी पाये हैं. वह भी बहुत संघर्ष के बाद. ऐसे में ज्वाइन करने के साथ-साथ गांव में शिक्षा का माहौल लाने की पूरी कोशिश करेंगे, ताकि और भी बच्चे शिक्षित हो और हमारा गांव बेहतर हो सके.