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वन नेशन वन इलेक्शन के साथ ही वन एजुकेशन भी होना चाहिए : सुधीर कुमार पप्पू

By Tamishree Mukherjee

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वन नेशन वन इलेक्शन के साथ ही वन एजुकेशन भी

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सोशल संवाद / जमशेदपुर : वन नेशन वन इलेक्शन लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। हमारे देश में सबसे जरूरी है वन एजुकेशन की। क्या मोदी सरकार बता सकती है जिस राज्य सरकार का टर्म पूरा नहीं हुआ है उसे भंग कर दिया जाएगा फिर कैसे वन नेशन वन इलेक्शन देशभर में लागू हो पाएगा यह जवाब मोदी सरकार के पास नहीं है। भारतीय जनता पार्टी पतन की ओर बढ़ रही है इसीलिए वन नेशन वन इलेक्शन का जुमला फेंका गया है। इससे लोकतंत्र कमजोर होगा और क्षेत्रीय पार्टी को नुकसान होगा। समाजवादी चिंतक और अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उक्त बातें कही है।

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उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पिछले 10 वर्षों में जो भी कही है और जो भी वादे किया है किसी को पूरा नहीं कर सकी। चुनी हुई राज्य सरकारों को परेशान करना और विपक्षी पार्टियों के सांसद विधायकों को प्रलोभन देकर अथवा सीबीआई और ईडी  के माध्यम से दबाव डालकर उसे भाजपा में शामिल करना। भाजपा की इसी फार्मूले के तहत जितने भी भ्रष्टाचारी नेता थे वे सभी भाजपा में शामिल हो गए।

आज भाजपा भ्रष्टाचारियों का संगठन बन गया है। देश में भ्रष्टाचार महंगाई और बेरोजगारी चरम सीमा पर है लेकिन मोदी सरकार चैन की बांसुरी बजा रही है। झारखंड में करारी हार के बाद गरीबों और लोकहित में मईया सम्मान योजना का भाजपा विरोध कर रही है यानी मोदी और शाह अपनी चुनावी हार को पचा नहीं पा रहे हैं। जाहिर है कि विधानसभा चुनाव में मोदी और शाह पर हेमंत सोरेन भारी पड़े। भाजपा की सीट घट गई। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं बढ़ बोलेपन के कारण यह दुर्दशा हुई।

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