सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा आज दिल्ली जल बोर्ड के मुख्यालय में विभाग के कार्यप्रणाली और यमुना सफाई से संबंधित एक्शन प्लान को लेकर समीक्षा बैठक की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा विभाग की कार्यप्रणाली, जल आपूर्ति एवं सीवरेज सिस्टम को लेकर कई अहम निर्देश दिए गए और विभाग द्वारा टैंकर प्रबंधन, शिकायत निवारण प्रणाली और डिजिटल मॉनिटरिंग व्यवस्था की गहन समीक्षा की गई। इस अवसर पर दिल्ली के कैबिनेट मंत्री प्रवेश साहिब सिंह भी मौजूद रहे।
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इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि गर्मी के मौसम में दिल्ली के सामने सबसे बड़ी चुनौती जल आपूर्ति की होती है। इसके साथ ही, राजधानी में सीवर व्यवस्था को दुरुस्त करना और यमुना सफाई—ये तीनों विषय भी एक-दूसरे से जुड़े हुए मुद्दे हैं। इन्हीं मुद्दों के समाधान को लेकर आज हमने डीजेबी के मुख्यालय में जलापूर्ति व्यवस्था, टैंकर संचालन और सीवर नेटवर्क की व्यापक समीक्षा की। उन्होंने बताया कि इस समीक्षा में टैंकर जलापूर्ति के लिए लागू की गई जीपीएस आधारित प्रणाली की कार्यप्रणाली को विस्तार से समझा गया। साथ ही, यह भी देखा गया कि कमांड एंड कंट्रोल सेंटर किस प्रकार से पूरे शहर में टैंकरों की वास्तविक समय में आवाजाही पर नज़र रख रहा है, ताकि समय पर और पारदर्शी जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, स्काडा सिस्टम के माध्यम से पूरे दिल्ली में जल आपूर्ति की स्थिति की भी समीक्षा की गई, यह देखा गया कि किस क्षेत्र में जल वितरण सुचारू रूप से हो रहा है और कहां सुधार की आवश्यकता है, इन सभी पहलुओं पर गंभीरता से ध्यान केंद्रित किया गया।

समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री ने एसटीपी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता अनिवार्य करने के लिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की कार्यप्रणाली की सटीक रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उसकी थर्ड पार्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एसटीपी की गुणवत्ता और कार्यकुशलता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसी के तहत दिल्ली जल बोर्ड की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के कई क्षेत्रों में आज भी सालों साल पुरानी जल और सीवर लाइनें उपयोग में हैं। तेजी से बढ़ती आबादी और पानी की बढ़ती मांग के बीच, इन पुरानी और जर्जर हो चुकी व्यवस्थाओं पर निर्भर रहना अब मुमकिन नहीं है। राजधानी दिल्ली अब उन जर्जर बुनियादी ढाँचों के भरोसे नहीं चल सकती और यही वजह है कि बार-बार जल संकट और सीवर जाम जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उन्होंने बताया कि आज की समीक्षा बैठक में यह विस्तार से आकलन किया गया कि किन-किन इलाकों में पाइपलाइन और सीवर नेटवर्क को प्राथमिकता के आधार पर बदलने की जरूरत है। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि फेज़-वाइज़ प्लानिंग के तहत इन सभी पुरानी लाइनों को आधुनिक तकनीक के साथ बदला जाए। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि नए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स में भी आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग किया जाए ताकि जल शुद्धिकरण प्रक्रिया अधिक प्रभावी और पर्यावरण हितैषी हो सके। उन्होंने बताया कि दिल्ली को 21वीं सदी के अनुरूप जल प्रबंधन मॉडल की आवश्यकता है। तकनीक के माध्यम से हम जल पुनर्चक्रण और स्वच्छता के नए मापदंड स्थापित करेंगे।

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि दिल्ली में अब तक 1226 अनाधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइनों का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है, जबकि 154 अनाधिकृत कॉलोनियों में सीवर का कार्य वर्तमान में प्रगति पर हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2028 तक राजधानी की सभी अनाधिकृत कॉलोनियों को सीवर नेटवर्क से जोड़ दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक समर्पित प्रयास है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि परियोजनाओं की गति और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि तय समयसीमा के भीतर हर कॉलोनी को इस बुनियादी सुविधा से जोड़ा जा सके।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में मौजूद अनाधिकृत कॉलोनियों को भी सरकार ने अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। पिछली सरकारों ने जहां इन क्षेत्रों की उपेक्षा की, वहीं हमारी सरकार का लक्ष्य है कि हर कॉलोनी को सीवर नेटवर्क से जोड़ा जाए और हर घर को नल के माध्यम से स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी | सभी हाउसहोल्ड को सीवर से जोड़ा जाएगा और स्थानीय स्तर पर सीवर ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी ताकि संपूर्ण व्यवस्था व्यवस्थित बन सके। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के “हर घर नल से जल” मिशन को सफल बनाने में दिल्ली सरकार पूरी ताकत से जुटी हुई है। राजधानी में जल वितरण में समानता और सभी लोगो तक पानी की पहुंच को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। दिल्ली जल बोर्ड की कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार करके हम राजधानी को जल प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी बनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य है कि दिल्ली के प्रत्येक नागरिक को, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में रहता हो, समान रूप से जल आपूर्ति मिले। उन्होंने कहा कि वह समय अब बीत चुका है जब कुछ खास इलाकों को जरूरत से ज्यादा पानी दिया जाता था और बाकी क्षेत्र जल संकट से जूझते थे—अब इस तरह की असमानता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जल वितरण की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत होगी। वर्तमान सरकार एकीकृत योजना के तहत दिल्ली के जल और सीवर व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि यमुना नदी की सफाई और संरक्षण को लेकर भी दिल्ली सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आज बैठक के दौरान यमुना नदी की सफाई के लिए एक बहुपक्षीय एवं चरणबद्ध कार्य योजना के क्रियान्वयन पर विस्तृत चर्चा की गई। जिसमें नालों के ट्रीटमेंट, सीवरेज नेटवर्क के विस्तार, आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना जैसे कार्य शामिल है। सरकार ने 27 डी-सेंट्रलाइज्ड एसटीपी के निर्माण को पहले ही मंज़ूरी दे दी है । ₹3140 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के अंतर्गत डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट , टर्मिनल एसपीएस, दिल्ली गेट पर एक 10 एमजीडी एसटीपी का निर्माण और रखरखाव शामिल है| सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी गंदा पानी बिना शोधन के यमुना में न गिरे। ये सभी डीएसटीपी टेंडर होने के बाद 18 महीनो के भीतर बना लिए जाएंगे |
दिल्ली सरकार की प्राथमिकता है कि हर नागरिक को स्वच्छ और पर्याप्त जल आपूर्ति सुनिश्चित हो। इसी दिशा में हमने दिल्ली जल बोर्ड को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जल प्रबंधन की योजनाओं में तेजी लाई जाए, पाइपलाइन नेटवर्क का विस्तार हो, और जल स्रोतों के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि न सिर्फ आज बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी जल संकट का सामना न करना पड़े। पारदर्शिता, तकनीक और ज़मीनी क्रियान्वयन के साथ दिल्ली जल बोर्ड को एक जवाबदेह और प्रभावी संस्था के रूप में कायाकल्प करने के लिए प्रयास किये जा रहे है |