सोशल संवाद/डेस्क : आम बोलचाल में हम रोजाना कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिनके बारे में हमें सही से पता नहीं होता. उनका कहां इस्तेमाल किया जाना है, ये तो हम जानते हैं, लेकिन उनके सही अर्थ के बारे में बहुत सारे लोग नहीं जानते. कई बार तो कहते कुछ और हैं, और मतलब कुछ और निकल आता है. ऐसा ही एक शब्द है अजीबोगरीब. हम अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा कि अजीबोगरीब शब्द में ‘अजीब’ तो ठीक है लेकिन ‘गरीब’ को क्यों शामिल कर लिया गया है?
ऑनलाइन प्लेटफार्म कोरा पर कुछ लोगों ने यही सवाल पूछा. जवाब उषा वाधवा नाम की महिला ने दिया. उन्होंने इसे उदाहरण देकर समझाया. कहा, एक बार हम ईरान गए तो कभी टैक्सी वाला तो कभी रेस्टोरेंट वाला, पूछ ही लेता था कि “गरीब हस्तीं? मतलब, गरीब हो क्या? तब बुरा लगता था. हम ढंग के कपड़े पहने हैं, पूरा बिल चुका रहे हैं तो कहां से गरीब दिख रहे हैं. लेकिन जब हमने वहां की एक महिला से इसके बारे में पूछा तो वह हंसने लगीं. कहा, ईरान में ‘गरीब का अर्थ होता है अजनबी’. यानी वे आपसे पूछ रहे हैं कि यहां नये हो क्या?
वाधवा खुद को अंग्रेजी, हिन्दी, उर्दू, फारसी एवं गुरुमुखी में शिक्षित बताती हैं. उन्होंने इसके बारे में विस्तार से बताया. कहा, अजीबोगरीब दो शब्दों अजीब और गरीब) से मिलकर बना है, जो शब्द युग्म कहलाते हैं. ‘अजीब’ मूल रूप से अरबी का शब्द है. अरबी से यह फारसी में गया और फिर उर्दू में चला आया. अजीब का अर्थ तो आप जानते हैं-विचित्र, अद्भुत इत्यादि. यानी कुछ अनोखा दिलचस्प, अप्रत्याशित, या सामान्य से कुछ अलग, या असाधारण.
अजीबोगरीब में ‘गरीब’ का अर्थ है-अजनबी. यानी जिसे पहले न देखा गया हो, परदेसी इत्यादि. इस तरह अजीब और गरीब का एक सा ही अर्थ है. शब्द युग्म प्राय: समानार्थी शब्दों से ही बनते हैं. फारसी में गरीब का एक अर्थ निर्धन भी है पर वहां उसके लिए फकीर शब्द का प्रयोग अधिक होता है. जबकि हमारे देश में निर्धन के लिए गरीब प्रचलन में आ गया है. सीधी बात ये है कि अजीबोगरीब में गरीब शब्द का अर्थ अजनबी या परदेसी से लगाया जाता है. जिसके बारे में कुछ भी पता न हो.