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श्रीनाथ विश्वविद्यालय में विगत तीन दिनों से चले आ रहे “सातवां अंतर्राष्ट्रीय श्रीनाथ हिंदी महोत्सव” पुरस्कार वितरण के साथ संपन्न हुआ

By admin

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सोशल संवाद/डेस्क : आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में विगत तीन दिनों से चले आ रहे “सातवां अंतर्राष्ट्रीय श्रीनाथ हिंदी महोत्सव” पुरस्कार वितरण के साथ संपन्न हुआ। उक्त महोत्सव के तृतीय दिवस के चिन्तन-मनन का विषय था- न्यायिक प्रक्रिया मे हिन्दी भाषा की उपयोगिता । समारोह के अंतिम दिन झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ. एस. एन. पाठक मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप मे उपस्थित हुए l उनके साथ सरायकेला खरसावां के जिला न्यायाधीश श्री विजय कुमार एवं झारखण्ड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल, सचिव राजीव चौरसिया उपस्थित थे । सभी गणमान्य अतिथियों ने महोत्सव के अंतिम दिन के कार्यक्रमो का आरंभ दीप प्रज्वलित कर किया । 

न्यायमूर्ति डॉ. एस. एन. पाठक ने अपने संबोधन को गुरु मंत्र से आरंभ करते हुए आगे बढ़ाते हुए कहा कि टैगोर के अनुसार भाषा वह माध्यम है, जिससे हम अपने गहनतम विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। कबीर ने हिंदी को अपनाया,  मीरा ने मान दिया और आजादी के दीवाने इसके साथ ही अपनी लड़ाई रहे थे । हमे हिंदी को आत्मसात करना होगा, उसको अपनाना होगा । न्यायिक प्रक्रिया में यदि हिंदी भाषा की उपयोगिता की बात की जाए तो इस बारे में उन्होंने कहा कि नागरिकों को अपनी संवैधानिक अधिकारों का बोध भी हिंदी भाषा के द्वारा होता है । उन्होंने कहा कि यदि एक व्यक्ति को केवल मुकदमा हार एवं जीत से समझ में आए और वह पूरी न्यायिक प्रक्रिया को न समझे क्योंकि पूरी प्रक्रिया अंग्रेजी मे थीं, तो इससे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात दूसरी नहीं हो सकती है ।

न्यायमूर्ति ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस देश की न्यायिक प्रक्रिया में हमने हिंदी को नहीं अपनाया है, लेकिन वह दिन दूर नहीं है, जब न्यायालय में हिंदी कार्य प्रणाली का सहारा बनेगी । हिंदी का अपना एक महत्व है। हिंदी हमारी संस्कृति और सभ्यता की महत्वपूर्ण कड़ी है, इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। हिंदी की उपयोगिता से न्यायिक प्रक्रिया में सामाजिक न्याय और समरसता को बढ़ावा मिलेगा । हिंदी का प्रयोग हमें गर्व से करनी चाहिए । देश के विद्वानों को भी अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए न कि विदेशी भाषा पर । रूस, अमेरिका, चीन, इंग्लैंड, अपनी भाषा का प्रयोग करके ही आगे बढ़ें हैं, इससे हमें सीखने की आवश्यकता है ।

 महोत्सव में तृतीय दिवस पर उपस्थित हुए अतिथि गण-विमला पाठक, श्री शिवम पाठक, सचिव श्री राजीव चौरसिया, कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व वित्त पदाधिकारी डॉ. पी. के. पाणी, डॉ. संजय भूईया, एन.एस.एस. समन्वक डॉ. दारा सिंह,  अधिवक्ता श्री सुदिपता दास आदि उपस्थित थे ।

महोत्सव के दौरान तीन पुस्तकों का विमोचन हुआ जिनके लेखक श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गोविंद महतो, भूगोल विभाग के अध्यक्ष श्री भावेश कुमार और डॉ जे. एल. पी. राजू रहे l “सातवाँ अन्तर्राष्ट्रीय श्रीनाथ हिन्दी महोत्सव” के तृतीय दिवस की प्रतियोगिताएं –  वाक चातुर्य, रेडियो श्रीनाथ, लघु नाटिका (अंतिम चरण) कहानी से कविता तक इत्यादि सम्पन्न हुई इन प्रतियोगिताओ के निर्णायक उमर खान, श्रीमती कृष्णा सिन्हा, आर जे मनोज, आर जे राज, आर जे अभय, डा नीलिमा कुमारी पटेल, विद्या तिवारी, पद्मा मिश्रा इत्यादि उपस्थित थे।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुखदेव महतो झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ. एस. एन. पाठक, सरायकेला खरसावां के जिला न्यायाधीश श्री विजय कुमार, जिला, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री राजेश शुक्ल एवं अन्य अतिथियों तथा निर्णायकों को स्मृति चिन्ह, पौधा एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया l

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